पटना: कॉमुनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के बैनर तले लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कन्हैया कुमार क्या बिहार से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. क्या कन्हैया बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में लग गए हैं. यह सारे सवाल तब जरूरी लगने लगते हैं जब हम हालिया राजनीतिक परिदृश्य पर एक नजर डालते हैं.


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देश में हर तरफ जहां नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन चरम पर पहुंचने लगा है, वहां कई दल और राजनेता ऐसे भी हैं जो इस पर राजनीतिक रोटियां सेंकने को तैयार बैठे हैं. छात्रनेता से राजनेता बनने का सपना लिए जेएनयू के कन्हैया कुमार ने भी बिहार में फिर से आजादी-आजादी के नारे लगा कर राजनीतिक हलचल तेज करने की कोशिश की है. 


बिहार के पूर्णिया में फिर गूंजा आजादी-आजादी का नारा



मौका था बिहार के पूर्णिया जिले में एक सभा को संबोधित करने का. जहां सभी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन को जुटे हुए हैं.


इसी बीच कन्हैया कुमार ने साल 2016 में जेएनयू में आजादी-आजादी के नारे से गूंजने वाला गीत फिर गाना शुरू कर दिया. लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने गाना शुरू किया. "आजादी-आजादी, तुम कुछ भी कर ले आजादी, हम ले कर रहेंगे आजादी."


विधायकी की तैयारी में तो नहीं लगे कन्हैया


हालांकि, सच्चाई इस गीत और नारे के बोल से अलग है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कन्हैया कुमार बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जा कर सभाएं कर रहे हैं. लोगों से बातचीत कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी की तैयारियों में भी लगे हुए हैं.



बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव है.लोकसभा में मात खा चुके कन्हैया विधानसभा में विधायकी में हाथ आजमा सकते हैं, इसकी पूरी-पूरी संभावना दिख रही है. 


लोकसभा से हार का हिसाब विधानसभा से करेंगे चुकता


बिहार में बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव हारने के बाद कुछ राजनीतिक पंडितों ने अपने विश्लेषण में यह कहा था कि कन्हैया कुमार बेगूसराय से अगर विधायकी का चुनाव लड़ते हैं तो वहां से उन्हें जीत मिलेगी. लगता है कन्हैया को वह बात भा गई.


उसके बाद से ही छात्रनेता से राजनेता में तब्दील होने का ख्वाब लिए कन्हैया लगातार सभाएं और संगोष्ठियों में शिरकत करते हैं और न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि राज्य की नीतीश सरकार के खिलाफ भी एक माहौल बनाने की कोशिश करते हैं.