नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मदरसों में व्यापक शिक्षा की शुक्रवार को वकालत करते हुए कहा कि 'सही शिक्षा' देने की जरूरत है और बच्चों को गैर-वाजिब चीजें नहीं सिखाई जानी चाहिए. खान ने कहा कि वह केवल एक समुदाय से हैं और वह 'भारतीय' हैं.


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तीन तलाक पर आरिफ मोहम्मद ने क्या कहा?


उन्होंने कहा कि 'तीन तलाक' के खिलाफ कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में याद किया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि कानून के लागू होने से मुस्लिम समाज में तलाक की दर में 91 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है.


एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान में शिक्षा के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है और यह 'एक बच्चे का मूल अधिकार है कि 14 वर्ष की आयु तक उसे विशेष शिक्षा नहीं दी जा सकती है और उसे व्यापक शिक्षा दी जानी चाहिए.'


'सही शिक्षा नहीं देने का पड़ेगा बुरा असर'


मदरसा शिक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'हम इसकी उपेक्षा कर रहे हैं. हम पांच से छह साल की उम्र के बच्चों को एक खास विचार की शिक्षा देते हैं. अगर हम सही शिक्षा नहीं देते हैं तो हमें इन चीजों के लिए तैयार रहना चाहिए.'


खान ने कहा कि जब शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया था, तो इसका विरोध करने वाला केवल एक संगठन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड था, भले ही धर्म लोगों को अनिवार्य रूप से शिक्षा हासिल करने के लिए कहता है.


ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) सांसद इम्तियाज जलील के एक स्पष्ट संदर्भ में, जिन्होंने हाल में मांग की थी कि भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर उनकी टिप्पणियों के लिए फांसी दी जानी चाहिए, खान ने कहा, 'हमारे पास कानून का शासन है लेकिन जो लोग प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं, वे एक व्यक्ति को फांसी देने का आह्वान करते हैं.'


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