Kerala High Court: भारत में अनचाहे गर्भ और रेप पीड़ित होने के चलते जन्म लेने वाले बच्चों के लिये केरल हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. केरल हाई कोर्ट ने इस मामले पर फैसला लिखते हुए कहा कि देश में अनचाहे गर्भ और रेप पीड़ित होने के बाद जन्म लेने वाले बच्चों के पास निजता, स्वतंत्रता और सम्मान हासिल करने का मौलिक अधिकार है. केरल हाई कोर्ट ने आगे बात करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जन्म लेने वाला बच्चा अपने जन्म के प्रमाण पत्र और पहचान पत्र समेत सभी डॉक्यूमेंटस पर सिर्फ मां का नाम लिख सकता है. 


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अनचाहे गर्भ से जन्म लेने वालों के पास भी है मौलिक अधिकार


जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णनन ने 19 जुलाई को एक ऑर्डर जारी किया है जिसमें कहा है कि अनचाहे गर्भ की वजह से जन्म लेने वाला बच्चा भी इस देश का नागरिक है और कोई भी उसके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता जो कि उसे संविधान की ओर से मिले हुए हैं.


ऑर्डर में कहा गया है कि अनचाहे गर्भ और रेप पीड़ितों के बच्चों के पास भी देश में मौलिक अधिकार के साथ जीने का अधिकार है. इसके तहत उन्हें निजता, सम्मान और आजादी से रहने का अधिकार मिला हुआ है. उनके निजी जीवन में कोई भी दखल नहीं दे सकता है और अगर ऐसा होता है तो उनके पास संवैधानिक कोर्ट का रास्ता है जो कि उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिये बना हुआ है.


इस वजह से कोर्ट ने दिया ये आदेश


उल्लेखनीय है कि केरल हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस अपील पर दिया है जिसने अनचाहे गर्भ की वजह से जन्म लेने के बाद अपने 3 डॉक्यूमेंटस पर पिता का नाम अलग-अलग लिखा था. कोर्ट ने जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र बनाने वाले रजिस्ट्रार को पिता के नाम का कॉलम हटाने और सिर्फ मां के नाम के साथ प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है. इसमें अगर याचिकाकर्ता चाहता है तो वो सिर्फ सिंगल पैरेंट के रूप में मां का नाम लिखवा सकता है.


डॉक्यूमेंटेशन के हर विभाग में बदलाव के दिये आदेश


कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि ऐसी परिस्थितियों में पैदा होने वाला बच्चा न सिर्फ उसकी मां के लिये बल्कि इस महान देश का भी बेटा/बेटी है. कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य को ऐसे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिये और यह कोशिश करनी चाहिये कि बिना उनकी पहचान बताये और निजता का ध्यान रखते हुए सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार मिले. वरना उसे बहुत सारे मानसिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ सकता है.


कोर्ट ने शिक्षा विभाग, हायर सेकेंडरी एग्जामिनेशन बोर्ड, आधार संख्या विभाग, आईटी विभाग, पासपोर्ट ऑफिस, इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया और राज्य के निर्वाचन आयोग को भी अपने रिकॉर्ड्स में इन बदलावों को करने के आदेश जारी किये हैं.


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