नई दिल्ली: Farmers Protest Latest News: किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. रविवार जो किसानों और सरकार के तीन मंत्रियों की बैठक में दिए गए प्रस्ताव को किसानों ने सोमवार शाम को खारिज कर दिया और फैसला किया है कि आंदोलन जारी रहेगा. 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. 


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'अब मीटिंग नहीं, फैसला करो'
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल का कहना है कि हमने सरकार के प्रस्ताव पर विचार किया है. हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है. हम 23 फसलों पर MSP चाह रहे हैं. हम अपनी मांग पर अडिग हैं. किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि अब किसी मीटिंग की जरूरत नहीं है. सरकार को फैसला ले लेना चाहिए. 


सरकार से क्यों नाराज हुए किसान?


1. किसान 13 फरवरी को दिल्ली बॉर्डर पर आए थे. तब से वह लगातार यहीं डटे हुए हैं. सरकार से चार दौरा की बातचीत हो गई. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. अब किसानों का सब्र जवाब देने लगा है. 


2. सरकार ने चौथी वार्ता के दौरान किसानों के सामने MSP पर दाल, मक्का और कपास की खरीदने के लिए पांच साल की योजना का प्रस्ताव रखा. आंदोलन में पंजाब के किसान अधिक हैं जिनके यहां हर फसल की पैदावार अच्छी होती है. खासकर गन्ना अधिक उगाया जाता है. लेकिन सरकार के प्रस्ताव में गन्ने का जिक्र नहीं था. 


3. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक MSP पर तुरंत प्रभाव से कानून चाहते हैं. जबकि सरकार का कहना है कि कानून बनाने की प्रक्रिया लंबी होती है, इतनी जल्दी पूरी नहीं की जा सकती.


4. किसानों की दूसरी बड़ी मांग कर्जमाफी थी, जिस पर सहमती नहीं हो पाई. देश के 16 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ का कर्ज है. एक किसान पर औसत 1.35 लाख का कर्ज है. लिहाजा, सरकार का कहना है कि इस कर्जमाफी से सरकारी खजाने पर बड़ा भार आएगा. 


तीन अन्य संगठनों ने भी दिया समर्थन
बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) के महासचिव काका सिंह कोटडा ने पंजाब के किसानों से बड़ी संख्या में खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आने की अपील की है. तीन अन्य कृषि संगठनों पंजाब किसान यूनियन (बागी), किसान मजदूर नौजवान एकता पंजाब और सदा एका जिंदाबाद मोर्चा पंजाब ने खनौरी और शंभू बॉर्डर किसान आंदोलन में शामिल होने का वादा किया है. 


'हम नुकसान नहीं चाहते'
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करे, नहीं तो हमें दिल्ली जाने दें. हमारे साथी किसान बैरिकेड नहीं तोड़ना चाह रहे, हमारी कोशिश है कि किसी को नुकसान नहीं पहुंचे और न ही किसी की जान जाए. लेकिन सरकार हमारी मांग नहीं मान रही है.


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