कई बार NDA में फेल होकर सुबोध कैसे बने जासूसों के मास्टर, जानिए CBI निदेशक की कहानी
1985 बैच के IPS सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया डायरेक्टर बनाया गया है.
नई दिल्लीः देश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अगला बॉस यानी की डायरेक्टर कौन होगा. इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से अटकलों का बाजार गर्म था. लेकिन मंगलवार को इस पर से पर्दा उठ गया और 1985 बैच के IPS सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया डायरेक्टर बनाया गया.
जब से सुबोध कुमार का नाम इस पद के लिए चुना गया है अब चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर सुबोध कुमार हैं कौन, उनका करियर कैसा रहा है, कहां से ताल्लुक रखते हैं और कैसे अधिकारी अबतक रहे हैं.
इन सब बातों की डिटेल में जाने से पहले अगर संक्षेप में कहें तो सुबोध कुमार की जिंदगी हार कर जीतने, गिर कर उठने और बहुत कुछ खोकर बहुत कुछ पा लेने की कहानी है.
आइए जानते हैं सुबोध कुमार जायसवाल की जिंदगी के कुछ किस्से.
नाकामयाबी से शुरू हुआ था सफर
सुबोध कुमार जायसवाल का जन्म झारखंड के एक छोटे से गांव में 22 सितंबर 1962 को हुआ था. पढ़ाई में उन्होंने बी.ए. और एमबीए किया है. लेकिन करीब चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके सुबोध कुमार तीन बार एनडीए की परीक्षा में फेल हुए थे.
एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया था कि वे ग्रेजुएशन और एमबीए करते हुए उन्होंने तीन बार नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एग्जाम दिया, लेकिन तीनों बार वो फेल हो गए थे. उन्होंने तब बताया था कि UPSC का एग्जाम क्लियर करने के बाद उन्हें पता नहीं था कि इसके बाद नौकरी कौन सी मिलनी है.
लेकिन आज आलम यह है कि पुलिस महकमे का शायद ही ऐसा कोई महत्वपूर्ण विभाग होगा जिसमें सुबोध कुमार ने काम न किया हो और अपनी काबिलियत का लोहा न मनवाया हो.
कहा जाता है जासूसी का मास्टर
सुबोध जायसवाल बेदाग छवि के अफसर माने जाते हैं. पुलिस सेवा में बेहतरीन काम के लिए उन्हें 2009 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से भी नवाजा जा चुका है. जायसवाल को जासूसों का मास्टर भी कहा जाता है.
उन्होंने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में भी अपनी सेवाएं दी हैं. वह कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव भी रह चुके हैं. आतंकवादियों पर लगाम लगाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
कई बड़े मामलों में दिखाया जलवा
जायसवाल ने कई बड़े मामलों की जांच का नेतृत्व किया है. मुंबई पुलिस में रहते हुए वह करोड़ों रुपए के जाली स्टंप पेपर घोटाले की जांच करने वाली स्पेशल टीम के चीफ थे. साल 2006 में हुए मालेगांव विस्फोट की जांच भी सुबोध कुमार जायसवाल ने ही की थी.
एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा के मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने से पहले यह जायसवाल की देखरेख में ही था.
वह प्रधानमंत्री, पूर्व PM और उनके परिवारों की सुरक्षा करने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के इंटेलिजेंस ब्यूरो में भी काम कर चुके हैं. 58 साल के जायसवाल 2022 में रिटायर होंगे.
23 साल की उम्र में आईपीएस
सुबोध कुमार जायसवाल को उनके करियर की शुरुआत में कई नक्सल एरिया, जिनमें औरंगाबाद, उस्मानाबाद और गढ़चिरौली भी शामिल हैं, जैसी जगहों पर पुलिस अधीक्षक के रूप में भी काम करना पड़ा.उन्होंने 23 साल की उम्र में ही आईपीएस की सेवा को ज्वाइन किया था.
सुबोध कुमार जायसवाल की पहली पोस्टिंग की बात करें तो उनकी पहली पोस्टिंग साल 1986 में एएसपी अमरावती के रूप में मिली थी. सुबोध ने महाराष्ट्र पुलिस की एसआईटी (SIT) से लेकर मुंबई में टेररिस्ट निरोधक दस्ते के DIG के रूप में भी काम किया.
बता दें कि सीबीआई चीफ की दौड़ में उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी, एसएसबी के डीजी कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी आगे चल रहे थे, लेकिन आखिर में सुबोध कुमार जायसवाल का नाम फाइनल किया गया. वे दो साल तक इस पद पर रहेंगे. अभी वह CISF के डायरेक्टर जनरल हैं.
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