Anti Rape Bill: क्या है अपराजिता एक्ट, कोलकाता में प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट क्यों नहीं?
Kolkata Rape Case: पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर से मामले में भी अब भी प्रदर्शन हो रहे हैं. आज रात 9 से 10 बजे के बीच मेडिकल छात्र मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन करेंगे. छात्र पुलिस की कार्यशैली से नाराज हैं. इसी कारण वे प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: Kolkata Rape Case: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आर. जी. कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर को लेकर लोग अब भी आक्रोशित हैं हैं. कोलकाता में तो विरोध प्रदर्शन हो ही रहे हैं. दिल्ली में भी एक बार फिर से डॉक्टरों से प्रदर्शन करने का का आह्वान किया गया है. खास बात ये है कि ममता सरकार ने एंटी रेप बिल विधानसभा में पास कर दिया, रेप के दोषियों के लिए कड़ा कानून बनने जा रहा है, फिर भी डॉक्टरों और छात्रों के प्रदर्शन नहीं रुके हैं.
आज कोलकाता और दिल्ली में प्रदर्शन
कोलकाता की आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज ने छात्रों ने आज यानी 4 सितंबर, 2024 की रात को एक बार फिर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का फैसला किया है. छात्र रात 9 से 10 बजे के बीच मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन करेंगे इस दौरान उनके रूम और घरों की लाइट बंद रहेगी. इसी तरह दिल्ली में भी शाम 4 बजे डॉक्टर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे. ऐसा कहा जा रहा है कि डॉक्टर और छात्र ममता सरकार के इस बिल से संतुष्ट नहीं हैं.
अपराजिता एक्ट 2024 में क्या है? (What is Aprajita Act 2024)
ममता बनर्जी ने अपराजिता एक्ट 2024 बनाया है. इसमें अपराजिता टास्क फोर्स गठित की जाएगी, जो रेप के मामलों में 21 दिन में जांच पूरी कर लेगी और दोषी को सजा दिलाएगी. इसे SP रैंक के अफसर लीड करेंगे. यदि 21 दिन मेसे ऐसे मामले की जांच नहीं होती है, तो अगुवाई करने वाले ऑफिसर को इसकी वजह बतानी होगी. इसके बाद उन्हें जांच के लिए अधिक से अधिक 15 दिन और दिए जाएंगे. इसका मतलब है कि रेप के मामले की जांच कुल मुलाक्र 36 दिन में पूरी करने का ध्येय लिया है.
पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट हैं प्रदर्शनकारी
डॉक्टर्स का आरोप है कि 14 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा में पुलिस ने लापरवाही बरती. प्रदर्शनकारी पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं. आरोप है कि 9 अगस्त को हुई घटना के दौरान पुलिस ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए. इसी कारण से जांच CBI को देनी पड़ी. ये बिही आरोप है लो मेडिकल कॉलेज में हुई तोड़फोड़ और हिंसा के दौरान भी ठोस कदम नहीं उठाए गए
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