आइजोल: पड़ोसी देश बांग्लादेश के ‘चटगांव हिल ट्रैक्ट’ में हिंसा से बचकर मिजोरम आने वाले कुकी-चिन जनजातीय शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 300 के करीब हो गई है. इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले स्थानीय नेता स्थानीय शरणार्थी आयोजन समिति के अध्यक्ष गॉस्पेल हमांगईहजुआला ने यह जानकारी दी है. 


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देर रात बांग्लादेश सीमा पार की
गॉस्पेल हमांगईहजुआला ने बताया कि 21 कुकी-चिन शरणार्थियों ने शुक्रवार देर रात बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट (सीएचटी) से सीमा पार की. सीएचटी में कथित हिंसा के कारण मिजोरम आए कुकी-चिन शरणार्थियों के मद्देनजर लवंगतलाई जिले के परवा गांव के ग्रामीण प्राधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने हाल ही में इस आयोजन समिति का गठन किया था. 


गॉस्पेल ने बताया कि 21 शरणार्थियों के सीमा पार करने के तुरंत बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सीमावर्ती गांव से लगभग 21 किलोमीटर दूर स्थित परवा गांव में इन्हें लेकर आए. बांग्लादेश के कुल 294 लोगों ने परवा के एक स्कूल, एक सामुदायिक सभागार, एक आंगनवाड़ी केंद्र और एक उप-केंद्र में शरण ले रखी है. 


परवा ग्राम परिषद के अध्यक्ष गोस्पेल ने बताया कि कुकी-चिन शरणार्थियों को एनजीओ द्वारा भोजन, कपड़े और अन्य राहत सामग्रियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.  


कुकी-चिन जनजाति
बता दें कि कुकी-चिन जनजाति बांग्लादेश, मिजोरम और म्यांमा के पहाड़ी इलाकों में फैली हुई है.कुकी-चिन समुदाय के लोग बांग्लादेशी सेना और एक जातीय विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) के बीच सशस्त्र संघर्ष के बाद अपने घर छोड़कर मिजोरम आ रहे हैं. शरणार्थियों का पहला जत्था 20 नवंबर को लवंगतलाई जिले में दाखिल हुआ था. 


शरणार्थियों के साथ है सरकार
राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है. इससे पहले, मिजोरम की कैबिनेट ने कुकी-चिन शरणार्थियों के प्रति मंगलवार को सहानुभूति व्यक्त की थी. इसके बाद इन शरणार्थियों को अस्थायी आश्रय, भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया था. ‘सेंट्रल यंग मिजोरम एसोसिएशन’ ने भी जातीय मिजो शरणार्थियों को मानवीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है. 

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