नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में जिन दो दलित किशोरियों की कथित रूप से बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई, उनके भाई ने अपनी बहनों के बारे में बात की है. भाई का कहना है कि उनकी बहनें महत्वाकांक्षी और सभी की मदद करने वाली लड़कियां थीं. बड़ी बहन 17 साल की थी. उसने पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी और अपनी बीमार मां की देखभाल कर रही थी. पीड़िताओं के भाई ने अपराधियों को ‘मृत्युदंड’ दिए जाने की मांग की. उसने कहा, ‘‘मैंने अपनी दो बहनों को खो दिया है और मैं न्याय की मांग करता हूं. अपराधियों को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए.’’ 


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बहन चिंतित थी
परिवार के अन्य लोग चाहते थे कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करे और परिवार के लिए पैसे कमाए. पीड़िताओं के भाई ने से कहा, ‘‘छह महीने पहले हमारी मां का गर्भाशय का ऑपरेशन हुआ था, जिसके कारण मेरी बहन चिंतित थी और वह मां की देखभाल के लिए घर पर रहना चाहती थी. इसी वजह से उसने पढ़ाई छोड़ दी थी.’’ 


क्या था लड़कियों का सपना
भाई ने अपनी 15 वर्षीय बहन को याद करते हुए कहा, ‘‘वह बहुत मेधावी और महत्वाकांक्षी थी. वह नौकरी करके परिवार की मदद करना चाहती थी.’’ उसने कहा, ‘‘मेरी छोटी बहन 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी. वह हमेशा कहती थी कि वह नौकरी करके परिवार के लिए पैसे कमाना चाहती है. वह अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी.


क्या है केस
दो किशोरियों के साथ कथित बलात्कार एवं उनकी हत्या के मामले में बृहस्पतिवार को छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों किशोरियों के शव गन्ने के एक खेत में एक पेड़ से लटके मिले थे. पीड़िताओं की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराके आरोप लगाया था कि उनके पड़ोसी छोटू के साथ मोटरसाइकिल पर आए तीन अज्ञात युवक उनकी झोंपड़ी में जबरन घुस आए थे और उन्होंने उनकी बेटियों का अपहरण कर लिया था. 


पुलिस सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लड़कियों का बलात्कार करने के बाद उनका गला घोंटा गया था. लखीमपुर खीारी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव सुमन नेबताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, लड़कियां दो आरोपियों जुनैद एवं सोहेल के साथ बुधवार दोपहर अपने घर से निकली थीं. उन्होंने कहा कि दोनों बहनों एवं आरोपियों के बीच प्रेम संबंध थे और बहनें विवाह का दबाव बना रही थीं, जिसके बाद उनका गला घोंट दिया गया. 


भाई निराश
पुलिस अधिकारी के बयान से निराश भाई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले में ‘खुद को शर्मिंदगी से बचाने’ के लिए ‘मनगढ़ंत कहानी’ बनाई है. उसने कहा, ‘‘पुलिस अपने फायदे के लिए मनगढ़ंत कहानियां बना रही है. वे झूठ बोल रहे हैं. मेरी बहनों का अपहरण किया गया था और वे इन युवकों को जानती ही नहीं थीं. हममें से कोई उन्हें नहीं जानता था, इसलिए मुझे कभी यह अंदाजा ही नहीं लग पाया कि मेरी बहनों का जीवन जोखिम में है.’’ 


क्या करते हैं भाई और पिता
पीड़िताओं का भाई हिमाचल प्रदेश में काम करता था और वह कुछ साल पहले दिल्ली आ गया था. वह एक निजी कारखाने में कार्यरत था और करीब एक महीने पहले घर लौटा था. लड़कियों का पिता एक भूमिहीन मजदूर है और उसने पुलिस की जांच पर संतोष व्यक्त किया है.


पीड़िताओं के संबंधियों ने परिवार के किसी एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी और पर्याप्त मुआवजा तथा अपराधियों को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की है. जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि दोनों लड़कियों के परिजनों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) कानून के प्रावधानों के तहत 8.25 लाख रुपये मुआवजा देने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.