पटना. देश में अगला लोकसभा चुनाव होने में महज कुछ महीनों का ही वक्त बाकी है. बिहार की बात करें तो चुनाव को लेकर लगभग सारी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. लेकिन, प्रदेश के छोटे दल अब तक सियासी मित्र को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. हालांकि अपने वोट बैंक को जोड़ कर रखने और दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास सभी पार्टियां कर रहे हैं. इन सारी बातों के बीच छोटी राजनीतिक पार्टियां अपने सियासी मित्र को लेकर पत्ते नहीं खोल रही हैं.


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वीआईपी और पप्पू यादव की कोशिशें
एकतरफ विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने 101 दिनों की संकल्प यात्रा के जरिए अपने वोट बैंक को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं पूर्व सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी स्थानीय मुद्दों के समाधान को लेकर संघर्ष करते नजर आ रही है.


वीआईपी 6 दिसंबर को मुजफ्फरपुर में एक बड़ी रैली का आयोजन करने जा रही है, जिसमे संभावना व्यक्त की जा रही है कि वीआईपी इस दिन राजनीतिक दोस्त को लेकर अपने पत्ते खोले। वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति हालांकि यह भी कहते हैं कि किस गठबंधन के साथ जाना है, इसका फैसला पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को करना है.


बहुजन समाज पार्टी कर रही जनाधार बढ़ाने की कोशिश
दूसरी तरफ यूपी में मजबूत पकड़ रखने वाली  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नजर भी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों पर लगी है.बीएसपी ने अनिल कुमार को बिहार प्रभारी बनाकर पार्टी में जान फूंकने की कोशिश की है. कुमार भी बक्सर, भोजपुर, रोहतास सहित कई जिलों में पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं.


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