नई दिल्लीः Maharashtra Crisis: बागी शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने उन्हें अयोग्य ठहराए जाने संबंधी नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट से विधानसभा के उपसभापति द्वारा विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई रोकने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा.


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शिंदे गुट की तरफ से अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी गई है. इसी तरह सुनील प्रभु को चीफ व्हिप के रूप में नियुक्त करने को भी चुनौती दी गई है. 



शिवसेना भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार
इससे पहले खबर आई थी कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पिछले पांच दिन से गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले शिवसेना के बागी विधायकों के तेवर नरम नहीं पड़ने के बीच पार्टी ने संकट से निपटने के लिए कानूनी लड़ाई के लिए कमर कस ली है. शिवसेना के एक सांसद ने रविवार को यह बात कही. 


बागी विधायकों को जारी किया गया था समन
शिवसेना के वकील-सह-कानूनी सलाहकार देवदत्त कामत ने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त होने के चलते विधानसभा उपाध्यक्ष को फैसले लेने का पूरा अधिकार है. एक दिन पहले, महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी किया था और उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की मांग वाली शिकायतों के संबंध में 27 जून की शाम तक लिखित जवाब देने को कहा गया था. 


कामत ने कहा था, ‘विधायक दल सर्वोच्च नहीं है और विधायक दल में बहुमत का कोई मतलब नहीं है, (यदि) यह इसका गठन मूल दल से किया गया है.’ इस दौरान शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता एवं लोकसभा सांसद अरविंद सावंत भी मौजूद थे. 


कानूनी लड़ाई की कर रहे तैयारीः शिवसेना प्रवक्ता
सावंत ने कहा था, ‘हम कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं.’ कामत ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 2.1.ए के अंतर्गत 16 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही शुरू की गई है. उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों से पता चलता है कि सदन के बाहर विधायकों की कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधि के समान है और वे अयोग्य ठहराए जा सकते हैं. उन्होंने बुलाई गई बैठकों में भाग लेने के लिए पार्टी के निर्देशों का जवाब नहीं दिया है.’


चूंकि अब शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट चला गया है. उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. ऐसे में महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई और दिलचस्प हो गई है और अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं.


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