महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों पर दी सफाई
अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह के द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं और यह खुद को बचाने के लिए और मुझे महाविकास गठबंधन सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश है.
मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जो आरोप महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के ऊपर लगाए हैं, उन पर खुद अनिल देशमुख ने सफाई पेश की. अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह के द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं और यह खुद को बचाने के लिए और मुझे, महाविकास गठबंधन सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश है.
गौरतलब है कि पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव को जो विस्फोटक चिट्ठी लिखी है, उससे महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा धमाका शुरू हो गया है.
एक एक बिंदु पर पेश की सफाई
अनिल देशमुख ने कहा कि मैं निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा और आप देखेंगे कि परमबीर सिंह झूठ कैसे बोल रहे हैं.
- सचिन वेज की गिरफ्तारी के बाद इतने दिनों तक चुप क्यों बैठे थे परमबीर सिंह? उसने उसी समय अपना मुंह क्यों नहीं खोला?
- यह महसूस करने के बाद कि आपको कल 17 मार्च को पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया जाएगा, 16 मार्च को परमबीर सिंह ने एसीपी को फोन किया. पाटिल से व्हाट्सएप चैट से कुछ सवाल पूछे गए और उन्हें अपेक्षित जवाब मिले.
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यह परमबीर सिंह की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था. इस चैट के माध्यम से, श्री. परमबीर सिंह व्यवस्थित रूप से सबूत इकट्ठा करना चाहते थे. इस चैट से उत्तर प्राप्त करते समय आप देख सकते हैं कि परमवीर सिंह कितने अधीर थे. परमबीर सिंह को बार-बार एसीपी पाटिल ने पूछा है. इसका क्या मतलब है?
- 18 मार्च को मैने लोकमत कार्यक्रम के दौरान बताया था कि कुछ गंभीर आरोपों के कारण परमबीर सिंह को पद से हटा दिया गया था.इसके बाद परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए 19 मार्च को फिर से व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के साक्ष्य बनाने की कोशिश की
- पुलिस विभाग में हर कोई जानता है कि सचिन वेज़ और एसीपी संजय पाटिल परम बीर सिंह के बहुत करीब हैं. 16 साल के लिए निलंबित वज़े को बहाल करने का निर्णय परमवीर सिंह ने अपने हाथों में लिया.
- परमबीर सिंह के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं साबित करना. मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रहा हूं.
- परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए ये झूठे आरोप लगाए हैं.
- अगर सचिन वज़े कहते हैं कि उन्होंने फरवरी में परमबीर सिंह से मुलाकात की और उन्हें यह सब बताया, तो उन्होंने इसे उसी समय क्यों नहीं कहा? इतने दिन चुप क्यों रहे?
- यह पता चलने के बाद कि हम विस्फोटक मामले में मुश्किल में पड़ सकते हैं, परमबीर सिंह ने इस तरह के झूठे आरोप लगाकर सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश की है.
- यह विस्फोट मामले में जांच और मनसुख वीरेन की संदिग्ध मौत को रोकने के लिए परमबीर सिंह द्वारा रची गई साजिश है.
- मुख्यमंत्री को परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए.
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