नई दिल्लीः Niti Aayog: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक बीच में छोड़कर बाहर निकल गईं. ममता ने कहा कि उन्हें 'महज पांच मिनट बोलने के बाद' रोक दिया गया. उन्होंने 2024-25 के केंद्रीय बजट की भी आलोचना की और इसे 'पक्षपातपूर्ण' बताया. 


'मुझे पांच मिनट बाद ही बोलने से रोका'


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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने बैठक से बाहर आने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'मैं बैठक का बहिष्कार करके बाहर आई हूं. (आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री) चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए. असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10 से 12 मिनट तक अपनी बात रखी. मुझे पांच मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया. यह अनुचित है.'


सहकारी संघवाद को मजबूत करने की भावना से लिया हिस्सा


ममता ने कहा, 'विपक्ष की तरफ से मैं यहां अकेली नेता हूं. मैंने बैठक में इसलिए हिस्सा लिया, क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए.' उन्होंने केंद्रीय बजट की निंदा करते हुए कहा, 'यह राजनीतिक एवं पक्षपातपूर्ण बजट है. मैंने कहा कि आप अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं? नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं, तो यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियां दें या योजना आयोग को वापस लाएं.'


भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित है बैठक


बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक हो रही है. बैठक 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित है. इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन तथा सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है. 


नीति आयोग की शीर्ष संस्था शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन हैं. बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी गौर किया जाएगा. 


सम्मेलन के दौरान पांच प्रमुख विषयों पेयजल: पहुंच, मात्रा तथा गुणवत्ता; बिजली: गुणवत्ता, दक्षता तथा विश्वसनीयता; स्वास्थ्य: पहुंच, सामर्थ्य तथा देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा: पहुंच तथा गुणवत्ता तथा भूमि और संपत्ति: पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण आदि पर सिफारिशें की गईं थीं. 


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