Nitish Kumar Pressure Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने झारखंड में 11 सीटों की डिमांड भाजपा के सामने रखी थी, लेकिन उसे केवल 2 सीटें ही दी गई हैं. नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के नेताओं से प्रेस कांफ्रेंस करवाकर भाजपा पर दबाव बनाने की बहुत कोशिश की पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा.
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Nitish Kumar Pressure Politics: बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सिक्का चलता है, इसमें कोई दोराय नहीं है. पिछले 20 साल से बिहार मतलब नीतीश कुमार और नीतीश कुमार मतलब बिहार हो गया है. संयोग से केंद्र की मोदी सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुमत से कम नंबर आ गए और उसे सहयोगी दलों पर निर्भर होना पड़ा. अब इसी मौके को भांपते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड में सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा पर दबाव बनाने की काफी कोशिश की, लेकिन जब शुक्रवार को सीटों का ऐलान हुआ तो जेडीयू को महज 2 सीटें ही मिलीं.
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दरअसल, चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से एक दिन पहले असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने एनडीए में सीट शेयरिंग का एक तरह से ऐलान कर दिया. अगले दिन नीतीश कुमार ने पटना में झारखंड जेडीयू के प्रभारी अशोक चौधरी, झारखंड जेडीयू के नेता खीरू महतो और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुला ली.
अशोक चौधरी, विजय चौधरी और खीरू महतो ने एक के बाद एक मीडिया को दिए बयान में 11 सीटों पर जेडीयू की दावेदारी ठोक दी थी. एकबारगी तो लगा कि नीतीश कुमार इस मौके को भुना ले जाएंगे और केंद्र में समर्थन के बदले झारखंड में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हो जाएंगे. विरोधी दलों ने एनडीए में सीटों को लेकर घमासान पर चुटकी भी ली. लेकिन शुक्रवार को जब सीट शेयरिंग का ऐलान हुआ, तो हिमंता बिस्वा सरमा की ओर से की गई घोषणा में कोई अंतर नजर नहीं आया.
शुक्रवार को सीट शेयरिंग के ऐलान के समय यह जरूर कहा गया कि कुछ सीटों पर आलाकमान के स्तर पर अभी बातचीत चल रही है. यह बात हिमंता बिस्वा सरमा ने तब भी कही थी. इस तरह बिहार की राजनीति के बेताज बादशाह नीतीश कुमार की झारखंड में दाल नहीं गली.
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यह संभव है कि जेडीयू को 2 सीटें दी गई हैं, तो उसमें एक सीट का और इजाफा हो जाए, लेकिन यह कहना कि जेडीयू 11 सीटों पर दावेदार है, इस पर भाजपा शायद ही बात करने को भी राजी हो. तो यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार की राजनीति के धुरंधर नीतीश कुमार की झारखंड की राजनीति में भाजपा पर प्रेशर पॉलिटिक्स काम नहीं आई.