मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अदालत के द्वारा आज श्री कृष्ण जन्मस्थान ईदगाह प्रकरण के सबसे पहले अदालत में पेश किए गए वाद को स्वीकार कर लिया गया है. वाद की स्वीकारोक्ति को लेकर जिला जज की अदालत में रिवीजन में सुनवाई चल रही थी.


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इस मामले में डीजीसी शिवराम तरकर ने बताया कि वाद को एडमिट कर लिया गया है. जिला जज अब किस कोर्ट को सुनवाई के लिए यह प्रकरण देंगे, अभी फैसला नहीं लिया गया. एक जुलाई को इस केस पर अगली सुनवाई होगी. कोर्ट के इस फैसले पर सभी की निगाहें टिकी थीं.


क्या कहना है वादी पक्ष का
वादी पक्ष के वकील गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि सितम्बर 2020 में सिविल कोर्ट ने इस केस को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि ये 'राइट इश्यू' नहीं है. यानी इस मामले में किसी को वाद करने का अधिकार नहीं है. मामला जिला जज की अदालत में गया. आज जिला जज की अदालत ने वादी पक्ष की रिविजन याचिका को स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई के लिए एक जुलाई की तारीख तय कर दी.


अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने सितंबर 2020 में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच वर्ष 1968 में हुए समझौते को रद करने की मांग की है. उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है. सिविल जज की अदालत से वाद खारिज होने के बाद उन्होंने जिला जज की अदालत में अपील दायर की थी.


क्या है पूरा मामला
ज्ञात हो कि याचिका में 2.37 एकड़ जमीन को मुक्त करने की मांग की गई है. कहा गया है कि श्रीकृष्ण विराजमान की कुल 13.37 एकड़ जमीन में से करीब 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थापित है. जबकि शाही ईदगाह मस्जिद 2.37 एकड़ जमीन पर बनी है. इस 2.37 एकड़ जमीन को मुक्त कराकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान में शामिल करने की मांग याचिका में की गई है.

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