लखनऊ: मोहन भागवत ने कहा कि यदि सत्य पर आधारित विरोध होता है तो हम उसका स्वागत करते हैं. वह हमारे सुधार के लिए होता है. संघ किसी के विरोध में नहीं चलता. संघ को जानना है तो करीब आइए सभी के लिए दरवाजे खुले हैं. किसी भी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा कि वे गलतफहमी कर भीड़ एकत्र करना चाहते हैं. उन्होंने मुसलमानों को न्योता दिया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में जानने के लिए हमारी शाखाओं और कार्यक्रमों में शिरकत करें. उसके बाद हमारे बारे में राय बनाना बेहतर होगा.


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संविधान ही देश का शक्ति-केंद्र 


एक अहम तथ्य की तरफ ध्यान दिलाते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष में हिन्दू एक परिवार है और देश का शक्ति-केंद्र राष्ट्रीय संविधान है. उन्होंने कहा कि संविधान के अतिरिक्त देश में कोई दूसरा शक्ति-केंद्र नहीं हो सकता. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संविधान पर पूरा भरोसा करता है. 


संघ किसी से भेदभाव नहीं करता: भागवत



'भविष्य का भारत' विषय पर मोहन भागवत ने संघ का नजरिया रखने के साथ यह भी साफ कर दिया कि हमें किसी की पूजा पद्धति को लेकर आपत्ति नहीं है. न ही जाति या संप्रदाय को लेकर संघ भेद रखता है. हिंदू शब्द संस्कृति का प्रतीक है. इस आधार पर भारत में रहने वाले सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं. संघ चाहता है कि सभी अपने-अपने पंथ के पक्के रहें, अपनी भाषा बोले, सद्भावना के साथ रहें और भेद नहीं करें, फिर भी विरोधी कहते हैं कि संघ वाले तुम्हारे शत्रु हैं. उन्होंने कहा कि संघ को जानें और उसके स्वयं सेवकों को देखें कि वह किस तरह रहते हैं.



दो बच्चों के कानून पर हो विचार


दो बच्चों के क़ानून को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि सभी के दो बच्चे होने चाहिए. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की देश को बहुत जरूरत है. यद्यपि जनसंख्या जहां समस्या है वहीं संसाधन भी है. सरकार को चाहिए कि इस पर एक मसविदा तैयार करके उसे देश के सामने रखे.


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