नई दिल्लीः सूजी हुई आंख. हमले की गवाही दे रही माथे पर पट्टी और उस पर सूख चुके लहू के निशान. यूपी के बरेली के इस मुस्लिम चेहरे पर गौर करने की जरूरत है. और नफरत के जिस जहर में डूबकर इन पर जानलेवा हमला किया गया है, उसके खतरे को समझने की भी सख्त जरूरत है.


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नफरत का शिकार हुए कामरान हासिब
ये हैं मियां कामरान हासिब. इनका पता ठिकाना है- बरेली के थाना बारादरी का मोहल्ला सैलानी. कामरान हासिब किसी हिंदू-मुस्लिम झगड़े का शिकार नहीं हुए. किसी दंगे का शिकार नहीं हुए. वो भगवा के खिलाफ नफरती जिहाद का शिकार हुए.


कामरान पर जानलेवा हमला इसलिए किया गया, क्योंकि वो अपने मुस्लिम आबादी वाले मोहल्ले में सीएम योगी और पीएम मोदी की तारीफ कर रहे थे. गरीब मुसलमानों की बेहतरी के लिए किए गए उनके फैसलों को गिना रहे थे. वहां मोदी-योगी की तारीफ करना उनके लिये जानलेवा हो गया.
 
'तुम असली मुसलमान नहीं हो'
कामरान हासिब के मुताबिक, पड़ोस के मुस्लिम नौजवानों ने उन पर यह कहते हुए हमला किया कि 'तुम तो असली मुसलमान हो ही नहीं, तुम तो मोदी-योगी की तारीफ करते हो'


कामरान के जिस सवाल पर हमलावर युवक भड़के उसे भी जान लीजिए. कामरान ने उनसे यही कहा था कि 'जिसकी अनाज योजना का गेहूं-आटा-नमक खाते हो, पीएम आवास योजना में गरीब मुस्लिमों को भी घर मिला. और घर खरीदने वाले मुसलमानों को सरकारी सब्सिडी भी तो तो मिली. जिसने इतना किया, उसी का बुरा क्यों सोचते हो?'


सवाल ये है कि कामरान ने अपने हमलावर पड़ोसियों से जो कुछ कहा-पूछा, क्या वो गलत था? बकौल कामरान, उन्होंने जो सवाल पूछा वो तो इस्लाम से मिली सीख को ध्यान में ही रखकर पूछा था, लेकिन जवाब में उन्हें गालियां मिलीं, धमकियां मिलीं और फिर जानलेवा हमला मिला.


पुलिस ने हमलावरों पर दर्ज किया केस
कामरान की शिकायत पर पुलिस ने हमलावर पड़ोसियों पर केस दर्ज कर लिया है. कार्रवाई की तैयारी है. सवाल ये है कि कामरान को अपनी ही बिरादरी वालों से क्यों जख्म खाना पड़ा? क्या अब 'मोदी-योगी' की तारीफ के खिलाफ भी 'जिहाद' छेड़ दिया गया है?


'द कश्मीर फाइल्स' पर हल्ला
बरेली के ही मौलाना तौकीर रजा का बयान सुन लीजिए तो आपको समझ में आ जाएगा कि मोदी-योगी से नफरत के पीछे बेहद सलीके से खोदी गई हिंदू-मुसलमान की नफरती खाई है.


मौलाना रजा ने अपने चुनावी मजमे में पिछले दिनों ये कहा कि "मैं हिंदू भाइयों से खासतौर से कह रहा हूं, मुझे उस वक्त से डर लगता है, जिस दिन मेरा ये नौजवान कानून अपने हाथ में ले लेगा. जिस दिन ये नौजवान बेकाबू हो गया और कानून अपने हाथ में लेने पर मजबूर हो गया, तो तुम्हें हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी. हिंदुस्तान का नक्शा बदल जाएगा"


मौलाना तकीर रजा ने हिंदू भाइयों कहकर अपनी जुबान मीठी रखने की बहुत कोशिश कर ली, लेकिन उनके दिलोदिमाग में भरा जहर उनकी जुबां पर आ ही गया, जिस शातिराना अंदाज में उन्होंने हिंदू नरसंहार की धमकी दी, उसने 'द कश्मीर फाइल्स' की याद दिला दी.


मौलाना तौकीर रजा जैसे जहरीले मौलानाओं और सियासतदानों की दुकान बंद हो रही है, क्योंकि मोदी-योगी का काम और उनकी नीयत कामरान हासिब जैसे आम मुसलमानों की समझ में आ रही है, जो खुदा की इबादत, मजहबी कट्टरपंथ और तरक्की की राह के बीच का फर्क समझने लगे हैं.


फसाद की नई बुनियाद- 'मुसलमान बनाम मुसलमान'!
चूंकि मजहबी कट्टरपंथ की सियासत करने वालों की दाल पूरी तरह गल नहीं रही है. इसीलिये अब हिंदू-मुसलमान का झगड़ा लगाने से आगे बढ़कर मुसलमान बनाम मुसलमान का झगड़ा खड़ा किया जा रहा है. कामरान पर जानलेवा हमला जैसी घटनाएं उसी की गवाही है.


बरेली के कामरान ही क्यों? इंदौर के यूसुफ को अपने कमरे में पीएम मोदी का फोटो लगाने पर बेइज्जत करते हुए घर खाली करने का नोटिस दे दिया गया. बदायूं के शाहरुख खान ने बीजेपी को वोट कर फेसबुक पोस्ट डाला तो उन्हें बिरादरी से ही धमकियां मिलीं. कानपुर के शकील ने अपनी छत पर बीजेपी का झंडा लगाया तो उस पर हमला बोला गया. कुशीनगर के बाबर अली ने योगी की जीत का लड्डू बांटा, तो मार-मार कर उसकी जान ले ली गई.


मोदी-योगी सरकार में कामरान, यूसुफ, शाहरुख और बाबर जैसे आम मुसलमानों का भरोसा बरकरार रहे, ये वक्त की जरूरत है. इस भरोसे में जबरिया नफरत घोलने का गुनाह क्या माफी के काबिल है, इस पर हिंदुस्तान की मुस्लिम बिरादरी को गंभीरता से सोचना होगा.


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