नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में कहा गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी लगभग खत्म हो गई है. साथ ही असमानता का दायरा भी पिछले 40 वर्षों में अपने न्यूनतम स्तर पर है. इसकी वजह सरकार की सब्सिडी युक्त खाद्य सुरक्षा योजना है.
भारत में 1 प्रतिशत से कम हैं बेहद गरीब
अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला, अरविंद विरमानी और करन भसीन ने आईएमएफ का यह वर्किंग पेपर लिखा है. इसमें कहा गया है कि भारत में 1 प्रतिशत से भी कम लोग बेहद गरीब हैं. कोरोना महामारी के दौरान सब्सिडी युक्त राशन योजना के चलते बेहद गरीब लोगों को सहारा मिला.
5 अप्रैल को प्रकाशित हुआ वर्किंग पेपर
यह वर्किंग पेपर ऐसे समय में आया है जब कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत में अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ने की बात कही गई है. यह वर्किंग पेपर 5 अप्रैल 2022 को प्रकाशित हुआ.
बेहद गरीबों की संख्या रही स्थिर
इस वर्किंग पेपर में बताया गया है कि कोरोना महामारी से पहले भारत में बेहद गरीबों की संख्या 0.8 फीसदी थी. जो अभी भी बरकरार है. खाद्य योजना ने बेहद गरीबों की संख्या को स्थिर करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई.
वर्किंग पेपर में गरीबी और असमानता पर खाद्य सब्सिडी के प्रभाव का जिक्र किया गया है. इस उपलब्धि के लिए आईएमएफ के अर्थशास्त्रियों ने भारत सरकार की ओर से देश में संचालित की जा रहीं लाभकारी योजनाओं को श्रेय दिया है. खासतौर से राशन से जुड़ी योजनाओं को.
पेपर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का जिक्र किया गया और इसे मील का पत्थर करार दिया गया है. पेपर में कहा गया कि भारत में खाद्य सब्सिडी प्रोग्राम के तहत मिली सामजिक सुरक्षा ने महामारी के असर को कम करने का काम किया है.
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