अखिलेश के बाद अब पटनायक से मिलेंगी ममता, कितना ताकतवर होगा देश का नया `राजनीतिक फ्रंट`?
ओडिशा यात्रा के दौरान ममता बनर्जी भगवान जगन्नाथ के मंदिर भी जाएंगी. एक मीडिया रिपोर्ट में तृणमूल सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी अन्य क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ भी हाथ मिला सकती है जिससे `नया फ्रंट` ज्यादा ताकतवर हो. यह फ्रंट गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी हो सकता है.
नई दिल्ली. देश में लोकसभा चुनाव भले ही अगले साल प्रस्तावित हों लेकिन इसकी सरगर्मी अभी से दिखने लगी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इसी क्रम में एक नए 'राजनीतिक फ्रंट' पर काम करती दिख रही हैं. अब खबर है कि 23 मार्च को ममता बनर्जी ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात कर सकती हैं. ममता और पटनायक की इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है. दरअसल बीते सप्ताह ही समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ममता बनर्जी से मुलाकात की थी.
ममता जाएंगी जगन्नाथ मंदिर
ओडिशा यात्रा के दौरान ममता बनर्जी भगवान जगन्नाथ के मंदिर भी जाएंगी. एक मीडिया रिपोर्ट में तृणमूल सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी अन्य क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ भी हाथ मिला सकती है जिससे 'नया फ्रंट' ज्यादा ताकतवर हो. यह फ्रंट गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी हो सकता है. यानी यह देश की जनता को तीसरा विकल्प मुहैया कराने की कोशिश करेगा.
किस रणनीति पर काम रही हैं ममता?
सीनियर टीएमसी नेता सुदीप बनर्जी के मुताबिक- एनडीए के कई भागीदार खुश नहीं हैं, ऐसे में हम उनसे बातचीत करेंगे. सभी क्षेत्रीय पार्टियां साथ मिलकर काम करेंगी, यही ममता बनर्जी चाहती हैं. बता दें कि बीते सप्ताह अखिलेश यादव और ममता के बीच हुई बैठक को भी लोकसभा चुनाव के लिहाज से अहम माना गया था.
ओडिशा की राजनीति के दिग्गज हैं नवीन पटनायक
ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक एक मजबूत खिलाड़ी हैं. चाहे लोकसभा हो या विधानसभा, दोनों ही सदनों में नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल का प्रदर्शन ओडिशा में शानदार रहा है. हालांकि पटनायक के ममता के साथ राजनीतिक फ्रंट में शामिल होने पर भी कयास हैं. क्योंकि बीजेडी और बीजेपी के संबंध भी दिलचस्प हैं. एक तरफ राज्य में दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के आमने-सामने हैं तो वहीं केंद्र से जुड़े मुद्दों पर कई बार सहमति दिखती है.
कैसे हैं बीजेपी-बीजेडी के संबंध
सीएए जैस अहम मुद्दे पर बीजेपी को बीजेडी का समर्थन मिला था. वहीं एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार रहीं द्रौपदी मुर्मू को भी बीजेडी ने अपना समर्थन दिया था. इसके अलावा केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बीजेडी के समर्थन से राज्यसभा सांसद हैं.
कितनी कामयाब होंगी ममता बनर्जी?
ऐसे में यह देखना होगा कि ममता बनर्जी इस नए फ्रंट को ताकतवर बनाने में कितनी कामयाब हो पाती हैं. इससे पहले भी वह विपक्षी एकजुटता के लिए कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं. ममता बनर्जी केंद्र की एनडीए सरकार की देश में सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं. पश्चिम बंगाल में हुए बीते विधानसभा चुनाव में तृणमूल और बीजेपी के बीच ही टक्कर हुई थी. हालांकि इस लड़ाई में ममता बनर्जी ने जबरदस्त सीटें हासिल कर राज्य में सरकार बनाई. इसी के बाद से ममता केंद्र के स्तर पर भी बीजेपी को घेरने की कोशिशें करती रही हैं.
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