नई दिल्ली: हैदराबाद में पुलिस ने लेडी डॉक्टर के साथ दरिंदगी करनेवालों को एनकाउंटर में मार दिया तो देश के ज्यादातर लोगों ने इसपर खुशी जताई लेकिन कुछ लोग इस एनकाउंटर का विरोध कर रहे हैं. कोर्ट तक पहुंच गए हैं. दलील है कि इंसाफ अदालत में ही होनी चाहिए. ठीक वैसे ही जैसा निर्भया केस में हो रहा है. 


निर्भया केस के दोषी की मांग 'दया याचिका वापस हो'


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इस केस में आए नए ट्वीस्ट ने एकबार फिर जाहिर कर दिया है कि गैंगरेप करने वाले दरिंदे कैसे कानून की मदद से ही लंबे समय तक सजा से बचते रहते हैं. निर्भया केस की कहानी सुनकर हर किसी को बेचैनी होती है. हैदराबाद में केस का ट्रायल शुरु भी नहीं हो सका और निर्भया केस अदालतों के चक्कर काटता रहा लेकिन सजा 7 साल बाद भी मिल नहीं सकी है.



अब इस केस में लोगों को उम्मीद जगी थी, लग रहा था कि बस कुछ दिनों में निर्भया को भी पूरा इंसाफ मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होगा. इसके पीछे की वजह ये है कि निर्भया केस के दोषियों में से एक विनय शर्मा के वकील के.पी. सिंह के मुताबिक विनय शर्मा ने राष्ट्रपति से दया की गुहार नहीं लगाई है.


निर्भया केस के दोषी की दलील, दया याचिका असली नहीं फर्जी


इसका मतलब ये हुआ कि जिस दया याचिका के खारिज होने के बाद विनय शर्मा के खिलाफ डेथ वारंट जारी होता उसे फांसी दी जाती वो कानूनी प्रक्रिया फिलहाल मुमकिन ही नहीं है


दोषियों के फांसी टालने का दांव, सजा से बचने का कानूनी हथियार


वकील के मुताबिक निर्भया के दोषियों के मामले में अभी कई कानून विकल्प बचा. किसी भी विकल्प को पूरा करने के लिए कोर्ट में या हमारे सिस्टम में किसी तरह की समय सीमा तय नहीं है. यानी साफ है कि निर्भया केस में दोषियों को फांसी के फंदे तक ले जाने में 1 महीना भी लग सकता है और 1 साल से अधिक भी.



देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले के बाद भी हमारे संविधान में ऐसे बहुत से विकल्प बचे हैं जिनका इस्तेमाल निर्भया के दोषी खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं.


जल्द मिलेगी फांसी


दोषी विनय शर्मा के वकील का आरोप है कि दिल्ली की सरकार ने चुनाव की वजह से राष्ट्रपति के पास विनय शर्मा की दया याचिका भिजवा दी जिसपर उसके साइन तक नहीं हैं. ऐसे में निर्भया के दोषियों को जल्द फांसी मिल सकेगी इसकी उम्मीद खत्म मानी जा रही है.



सरकार ने दिए बड़े संकेत


देश कानून की इन्हीं खामियों को दूर करने की मांग हो रही है. रेप और गैंगरेप के मामले में नए कानून की मांग हो रही है. सरकार को भी इसका एहसास है.


केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि 'मैं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखने जा रहा हूं कि नाबालिगों से बलात्कार के मामलों में जांच 2 महीने के भीतर पूरी हो. मैंने अपने विभाग को भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं.'


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हैदराबाद और उन्नाव कांड ने देश को झकझोर कर रख दिया है. अब निर्भया केस की तरह नहीं, देश को हैदराबाद स्टाइल का एक्शन और इंसाफ पसंद आ रहा है. देश का बदला हुआ मिजाज संविधान को बदलने और दुरुस्त करने का संदेश है.


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