नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने शुक्रवार को कहा कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केवल स्थिर कीमतों की गारंटी दे सकता है, न कि सर्वोत्तम मूल्य की. चंद ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस द्वारा आयोजित एक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस सर्वोत्तम कीमत को केवल बाजार में उचित प्रतिस्पर्धा के माध्यम से ही सुनिश्चित किया जा सकता है.


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किसानों की मांग पर क्या बोले रमेश चंद
एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाने के लिए किसान समूहों की मांग पर बोलते हुए चंद ने कहा कि किसान चाहते हैं कि इसे उनकी उपज के लिए सबसे अच्छी कीमत मिले और खुद को कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाया जा सके.


उन्होंने कहा, 'मेरे विचार में, एमएसपी सभी स्थितियों में सर्वोत्तम मूल्य नहीं हो सकता है. यह निश्चित रूप से एक स्थिर मूल्य है, न कि सर्वोत्तम मूल्य. सर्वोत्तम मूल्य प्रतिस्पर्धा से आता है. यदि बाजार में प्रतिस्पर्धा है, तो किसानों को सर्वोत्तम मूल्य मिल सकता है.'


22 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है सरकार
सरकार 22 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है. वह विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत राशन की दुकानों के माध्यम से इन फसलों की आपूर्ति करने के लिए गेहूं और धान की खरीद करती है. कुछ मात्रा में तिलहन और दालों की भी खरीद होती है.


एमएसपी पर सरकार द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य चंद ने आगाह किया कि किसी को भी एमएसपी पर बहुत अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार के अवसरों का लाभ उठाना चाहिए.


उन्होंने आगे कहा कि सबसे अधिकतम वृद्धि उन क्षेत्रों में देखी जा सकती है जहां मूल्य के मामले में सरकार का हस्तक्षेप सबसे कम है. उन्होंने इसके लिए डेयरी, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे संबद्ध क्षेत्रों में तेज और निरंतर विकास का हवाला दिया.
(इनपुट: भाषा)


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