जयपुर: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने एक बार भारत के विपक्ष को कमजोर बताया है. उनका सीधा इशारा कांग्रेस की तरफ था. नोबेल विजेता ने कहा कि अच्छे शासन के लिए जरूरी है कि विपक्ष की भूमिका मजबूत हो, इससे सरकार पर अच्छे काम के लिए दबाव बनाया जा सकता है. जब विपक्ष बिखरा हुआ और कमजोर होगा, तब ऐसे हालात में सरकार सोच सकती है कि वह कुछ भी कर सकती है. लोकतंत्र मजबूत विपक्ष की अपेक्षा रखता है. अभिजीत बनर्जी जेएलएफ के सत्र में पहुंचे थे. 



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गरीबी में आई है कमी
उन्होंने देश के मौजूदा हालात पर भी अपनी राय रखी. कहा कि पिछले 30 सालों में भारत में गरीबी में भारी कमी आई है. 1990 में गरीबी 1990 में गरीबी 40 फीसदी थी, और अब, यह 20 फीसदी से भी कम है. उन्होंने कहा कि जब से जनसंख्या बढ़ी है, यहां गरीब लोगों की संख्या में भारी कमी आई है.  भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, गरीबी कैंसर की तरह है और इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं.



इससे कई बीमारियां होती हैं. कुछ लोग शिक्षा के मामले में गरीब हैं, कुछ सेहत से गरीब हैं और कुछ पूंजी के मामले में गरीब हैं. आपको पता लगाना है कि क्या कमी रह गई है. सभी का एक तरह से समाधान नहीं किया जा सकता. 


अर्थव्यवस्था में दिए अच्छा होने के संकेत
नोबेल विजेता ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर भी टिप्पणी की. कहा कि हम पिछले दो महीनों से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छे संकेतक देख रहे हैं, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि वे कितने समय तक रहेंगे क्योंकि ताजा आंकड़े सामने आ रहे हैं. पिछली कई तिमाहियों से अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 4.5% रही है, जो साढ़े छह साल का निचला स्तर है.



इससे पहले पहले पिछली तिमाही में विकास दर महज 5% रही थी. उनका यह कहना विरोधियों के लिए करारा झटका है जो आर्थिक नीतियों को लेकर सरकार पर हमलावर हैं. 


सब्सिडी देने की आलोचना की
बनर्जी ने सब्सिडी देने को गरीबों के लिए महत्वपूर्ण बताया, लेकिन व्यापक नजरिए में इसकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव के समय ज्यादा सब्सिडी देने का वादा करते हैं, बनर्जी ने कहा कि यह गरीबों के लिए महत्वपूर्ण है, मगर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, जब ये सब्सिडी उन्हें दी जाती है, जिन्हें इसकी जरूरत नहीं है तब स्थिति भ्रामक हो जाती है.


गरीबी उन्मूलन के विशेषज्ञ माने जाने वाले अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत की स्थिति में संतोषजनक सुधार तब आएगा, जब गरीबी में कमी आएगी. 


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