चीता ही नहीं भारत के ये जीव-जानवर भी हो चुके हैं विलुप्त, क्या कभी वापस आएंगे
भारत के कई जानवर विलुप्त हो चुके हैं. आइये ऐसा ही कुछ विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में जानते हैं. सुमात्रन गैंडे को विलुप्त होने वाले जानवरों में से एक घोषित किया गया है. वहीं 7 किलो की सिवेट बिल्ली पश्चिमी घाट के तट पर पाई जाती थी.
नई दिल्ली: नामीबिया से आ रहे चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर अभायरण्य में बने क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा जाएगा. इसकी चर्चा देश में हर ओर है लेकिन क्या आपको मालूम है कि चीते ही नहीं भारत के कई जानवर विलुप्त हो चुके हैं. आइये ऐसा ही कुछ विलुप्त हो चुके जीव-जंतुओं के बारे में जानते हैं.
भारत में कुल कितने जीव और कितने खतरे में
भारत में दुनिया की कुल वनस्पति का 11.5 फीसद हिस्सा है. तो वहीं सभी जीवों का यहां 6.49 हिस्सा है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर रेडलिस्ट की ओर से 2014 में एक रिपोर्ट जारी हुई. उसके अनुसार,पक्षियों की 15 प्रजातियां, स्तन धारियों की 12 प्रजातियां खतरे में हैं. वहीं सरीसृप और उभयचर की 18 प्रजातियां गंभीर रूप से लुप्त प्राय सूची में शामिल हो गई हैं.
कौन जीव विलुप्त हुआ भारत से
भारतीय ऑरोच (indian aurochs)
ये भारत के गर्म और शुष्क क्षेत्रों में रहते थे. इनकी ऊँचाई 6.6 फीट और वजन 1,000 किलोग्राम था. भारतीय बाइसन या गौर भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है. ज़ेबू और गौर भारतीय मवेशी हैं, जो विलुप्त हो रहे भारतीय ऑरोच के समान हैं.
सुमात्रन गैंडे (Sumatran rhinoceros)
सुमात्रन गैंडे को विलुप्त होने वाले जानवरों में से एक घोषित किया गया है. यह गैंडा दो सींगों वाला सबसे छोटा गैंडा है. ये केवल 275 से कम संख्या में अनुमानित हैं और भारत के पड़ोसी देशों में पाए जाते हैं.
हिमालयी बटेर (Himalayan Quail)
यह पक्षी अंतिम बार मसूरी में 1867 में देखा गया था. यह मध्यम आकार का पक्षी कभी उत्तराखंड में पाया जाता था.
पिंक-हेडेड डक (pink-headed duck)
यह भारत में सबसे सुंदर पक्षियों में से एक थी. पिंक-हेडेड डक एक बड़ी डाइविंग ब्लैकिश-ब्राउन डक थी, लंबे गर्दन वाले बतख को एक बार पूरे भारत में पाया जाता है.
मालाबार सिवेट (malabar civet)
7 किलो की सिवेट बिल्ली पश्चिमी घाट के तट पर पाई जाती थी. 1990 के बाद इसे कभी नहीं देखा गया.
चीते कैसे विलुप्त हुए
20वीं शताब्दी में भारतीय चीतों की आबादी में तेजी से गिरावट आई. साल 1918 से 1945 के बीच 200 चीते आयात भी किए गए. कहा जाता है कि 1947 में कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार कर उन्हें मार दिया. 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से चीतों को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया.
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