मुंबई: महाराष्ट्र के दक्षिणी कोल्हापुर विधानसभा क्षेत्र की सभी 34 ग्राम पंचायतें छह जून को उन रिवाजों पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगी जिनके तहत विधवा महिलाओं को सिंदूर पोंछने और अपनी चूड़ियां तोड़ने के लिए बाध्य किया जाता है. कांग्रेस विधायक ऋतुराज पाटिल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.


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कांग्रेस विधायक का बयान


छह जून को ही महान योद्धा शिवाजी महाराज का छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक किया गया था और इस दिन को शिव राज्याभिषेक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. पाटिल ने एक बयान में कहा कि इस मुद्दे पर वह पिछले दो हफ्तों से इन 34 गांवों के सरपंचों, उप सरपंचों, ग्रामसेवकों आदि से भेंट कर रहे हैं.


हेरवाड गांव बनी मिसाल


विधवाओं से जुड़े रिवाजों पर प्रतिबंध लगाने का कदम सबसे पहले कोल्हापुर की शिरोल तहसील के हेरवाड गांव में उठाया गया था. हेरवाड ने चार मई को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया था. हेरवाड गांव की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद अन्य पंचायतों के गांव ने इसे नेक कदम मानते हुए अपनाने की बात कही.


बता दें कि देश के कई हिस्सों में यह नियम है कि अगर महिला विधवा होती है तो उन्हें मांग का सिंदूर पोछना पड़ता है जबकि हाथों में पहनी चूड़ियां भी तोड़नी पड़ती है. विधवा होने के बाद महिलाओं को अन्य श्रृंगार के सामान से भी दूर रहना पड़ता है. इसके समाजिक कुरितियों के अनुसार न तो विधवा महिलाएं मेहंदी लगा पाती हैं न हीं सज-संवर सकती हैं. ऐसे में समाज में व्याप्त इन कुरीतियों को हटाने के लिए कुछ अलग-अलग तरीके से कदम उठाते रहते हैं.


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