Nuh Violence: कांग्रेस नेता मम्मन खान को नहीं मिली राहत, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया
हरियाणा की एक अदालत ने मंगलवार को 31 जुलाई को नूंह जिले में फैली हिंसा के मामले में कांग्रेस नेता विधायक मम्मन खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. फिरोजपुर झिरका के विधायक मम्मन खान को नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद 1 अगस्त को दर्ज एक अलग FIR में आरोपी के रूप में नामित किया गया था.
नई दिल्ली. हरियाणा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में कांग्रेस नेता विधायक मम्मन खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हरियाणा की एक अदालत ने मंगलवार को 31 जुलाई को नूंह जिले में फैली हिंसा के मामले में विधायक खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. इससे पहले 17 सितंबर को अदालत ने खान की पुलिस रिमांड दो दिनों के लिए बढ़ा दिया था. अधिकारियों ने कहा कि नगीना पुलिस स्टेशन में दर्ज एक FIR के सिलसिले में उनकी रिमांड बढ़ा दी गई.
फिरोजपुर झिरका के विधायक मम्मन खान को नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद 1 अगस्त को दर्ज एक अलग FIR में आरोपी के रूप में नामित किया गया था. जहां उन्हें गुरुवार (15 सितंबर) को देर रात राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया गया था. बता दें कि उनके खिलाफ FIR में जो आरोप लगे हैं, उनमें धर्म के आधार पर विभिन्न ग्रुपों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना शामिल है.
कब्जे में लिए मोबाइल फोन और लैपटॉप
रिमांड के दौरान, पुलिस ने खान के मोबाइल फोन और लैपटॉप को अपने कब्जे में ले लिया है. साथ ही सबूतों के मुद्देनजर उनके सोशल मीडिया अकाउंट की भी समीक्षा की गई है. बता दें कि दो दिन पहले रविवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के दौरान पुलिस ने नूंह हिंसा पर दर्ज तीन और मामलों के संबंध में पूछताछ के लिए खान की पांच दिन की रिमांड और मांगी थी.
कांग्रेस ने लगाया आरोप
इस बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि खान को 'पॉलिटिकल विच-हंट' के तहत गिरफ्तार किया गया है. साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में नूंह हिंसा की न्यायिक जांच की भी मांग की गई. पूर्व मुख्यमंत्री और हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने एक संयुक्त बयान जारी कर सरकार से पूछा कि वह 'न्यायिक जांच से क्यों डरती है?'
विधायक मम्मन खान ने किया ये दावा
पिछले हफ्ते, फिरोजपुर झिरका के विधायक ने गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था और दावा किया था कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है, जबकि हिंसा भड़कने के दिन वह नूंह में भी नहीं थे. खान ने यह भी अनुरोध किया कि नूंह में हिंसा से संबंधित सभी मामले एक विशेष जांच दल (SIT) को ट्रांसफर कर दिए जाने चाहिए. वहीं, सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि एक एसआईटी पहले ही गठित की जा चुकी है. इससे पहले, विधायक को नूंह पुलिस ने दो बार जांच में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए.
क्या थी नूंह हिंसा?
बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में दो समूहों के बीच झड़प हो गई थी. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिले से गुजर रहे एक धार्मिक जुलूस पर अटैक किया गया था, जिसमें दो होम गार्ड समेत 6 लोग मारे गए थे. इसके अलावा, इसके बाद भड़की हिंसा में करीब 20 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए.
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