नई दिल्लीः YES bank से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. यस बैंक के अधिकारियों के कारनामे अब उन पर भारी पड़ रहे हैं. एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) की अब तक की जांच में सीधे तौर पर फंस रहे एक अधिकारी को बैंक को जबरिया छुट्टी पर भेजना पड़ा है. 


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बड़ा सवाल ये है कि बैंक के कोर मैनेजमेंट का हिस्सा रहे बाकी अधिकारियों की छुट्टी कब होती है. दरअसल, सरकार और रिजर्व बैंक ने बाकी बैंकों से पूंजी डलवा कर यस बैंक को डूबने से तो बचा लिया. लेकिन, जो असली कारगुजारी वाले लोग हैं वो अब भी बैंक में कायम है. ज़ी बिज़नेस के तरुण शर्मा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट समझिए.


एक अधिकारी की छुट्टी पर बाकी की कब?
एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट की जांच के बाद होलसेल बैंकिंग हेड आशीष अग्रवाल को छुट्टी पर भेज दिया गया है. यस बैंक केस में ED की चार्जशीट में आशीष अग्रवाल का नाम शामिल है. अग्रवाल ने बतौर चीफ क्रेडिट रिस्क ऑफिसर कई लोन पास किए थे. 


मंजूर किए 31,855 करोड़ रुपए के 71 लोन NPA हुए. ED ने माना कि अग्रवाल ने जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई थी. साथ ही उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग में एक तरह से मदद की थी. हाल ही में CBI और ED ने आशीष अग्रवाल से घंटों पूछताछ की थी. 


यस बैंक की नीतियों पर सवाल
मामले की परतें खुलने के बाद Yes Bank की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं. स्टॉफ रिव्यू कमेटी को फरवरी में मामला पता था, लेकिन फिर भी एक्शन लेट क्यों किया गया? सवाल ये भी है कि क्या ED की चार्जशीट में नाम आने के बाद मजबूरी में लिया एक्शन? जिन्होंने बैंक को डुबाया उन पर कार्रवाई पर हाथ पांव क्यों फूल रहे हैं? जिनके खिलाफ SEBI के ऑर्डर वो भी बैंक के सिस्टम में कैसे बने हैं?


SEBI के नियम तोड़ने वाले कौन से नाम अभी भी यस बैंक में कायम हैं? 
- संजय नांबियार,  ग्रुप लीगल काउंसेल, यस बैंक
- निरंजन बनोड़कर, CFO, यस बैंक
- शिवानंद शेट्टीगर, कंपनी सेक्रेटरी, यस बैंक
- आशीष अग्रवाल, हेड, व्होलसेल बैंकिंग, यस बैंक


बैंक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुंह की खाई
बता दें, हाल ही में YES Bank को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी फटकार लगी थी. हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस के Yes Bank के पास गिरवी रखे Dish TV के शेयरों को फ्रीज करने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने इस मामले में FIR रद्द करने और जांच रोकने से इनकार किया है. 
कोर्ट ने कहा कि वाजिब जांच को रोकना सही नहीं होगा. केस में सबूतों को इकट्ठा करना बाकी है. ऐसे में दखल कोर्ट का दखल सही नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि मामला बड़ा है और पर्याप्त मैटेरियल भी नहीं हैं. बिना पर्याप्त मैटेरियल के सही परिप्रेक्ष्य में देख पाना कठिन है. कोर्ट ने यस बैंक को निर्देश दिया कि पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट जाए और वहां से राहत लें. 


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