22 साल पहले हुआ था संसद पर आतंकी हमला, जानें कितना खौफनाक था मंजर!
Parliament Attack 2001: 13 दिसंबर, 2001 को संसद में कार्यवाही चल रही थी. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े 5 आतंकी एक सफेद एम्बेसडर में सवार होकर संसद परिसर में घुसे.
नई दिल्ली: Parliament Attack 2001: देश की संसद में दो लोग दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद आए और स्मोकिंग कैंडल जलाई, फिर पूरी संसद में धुआं ही धुआं हो गया. दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि ठीक इसी तारीख (13 दिसंबर) को साल 2001 में संसद पर हमला हुआ था, जिसमें 9 लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हुए थे.
क्या था वाकया
13 दिसंबर, 2001 को संसद में कार्यवाही चल रही थी. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े 5 आतंकी एक सफेद एम्बेसडर में सवार होकर संसद परिसर में घुसे. इस एम्बेसडर पर गृह मंत्रालय और संसद के स्टीकर लगे हुए थे. इस कार इन पर किसी ने शक नहीं किया. इन आतंकियों के पास AK47 राइफल, ग्रेनेड, ग्रेनेड लांचर और पिस्तौल लेकर सुरक्षा घेरे में पहुंच गए.
कांस्टेबल को हुआ शक
संसद में तैनात एक कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव को उनकी हरकतों पर शक हुआ. इसके तुरंत बाद उसने गेट नंबर 1 को सील किया. इसके बाद आतंकियों ने कमलेश कुमारी पर 11 राउंड फायरिंग की. यादव एक सुसाइड बॉम्बर को रोक रही थीं, इसी दौरान उनकी मौत हो गई.
मारे गए आतंकी
इसके बाद आतंकी ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए आगे बढे. लगभग 30 मिनट तक चला यह वाकया चला, इस दौरान सांसदों की जान खतरे में पड़ गई. सुरक्षा के लिए तैनात जवानों ने पांचों आतंकियों को भी संसद की इमारत के बाहर ढेर कर दिया.
मुख्य आरोपी को दी फांसी
जांच में सामने आया कि संसद हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु, एसए आर गिलानी और शौकत हुसैन थे. इस हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का भी हाथ बताया जाता है. हमले के 12 साल बाद 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी.
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