टूट रहा है मजबूर और बेबस मजदूरों के सब्र का बांध! जानिए, देशभर के हालात
ये तो बिल्कुल सच है कि इस बुरे वक्त में कोई मजबूर भला करे भी तो क्या करे? सरकार ने मजदूरों को घर भेजने का काम लगातार कर रही है, लेकिन हालात के मारे कुछ परेशान लोगों के सब्र का बांध टूटता दिख रहा है...
नई दिल्ली: देश और दुनियाभर में कोरोना के कहर ने उत्पात मचा रखा है. देश में लॉकडाउन की वजह से फंसे मजदूरों को उनके घर भेजने का सिलसिला जारी है. मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, लेकिन कई जगहों पर अभी भी मजदूर बेबस है और उनके सब्र का बांध टूटता जा रहा है. कहीं मजबूरी में मजदूर अफवाहों पर ध्यान देकर सड़क पर उतर आ रहे हैं तो कहीं क्वारंटीन सेंटर का ताला तोड़कर मजदूर भाग जा रहे हैं.
घर जाने की बेताबी लेकिन अफवाह पड़ी भारी!
घर जाने की बेताबी में मजदूरों पर अफवाह भारी पड़ रही है. अहमदाबाद में सैंकड़ों प्रवासी मजदूर घर वापसी के लिए सड़क पर उतर आए और बस स्टैंड पहुंच गए. किसी ने यह अफवाह फैलाई थी कि उनके राज्यों को जाने वाली बसें खड़ी हैं. इसके बाद क्या था, आपाधापी में मजदूर अपना सामान लेकर पहुंच गए.
उसके बाद ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल और ना ही कोरोना का डर सता रहा था. पुलिस ने तकरीबन 2 घंटे तक मजदूरों को समझाया कि यहां से कोई बस कहीं नहीं जाने वाली है, जिसके बाद मजदूर वापस गए.
कोरोना काल में क्वारंटीन सेंटर का ताला टूटा
मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला जारी है. लेकिन कोरोना काल में लोग क्वारंटाइन सेंटर से ही भागने लगे हैं. मामला बिहार के कटिहार का है. जहां 20 से 22 प्रवासी मजदूर क्वारंटाइन सेंटर का ताला तोड़कर भाग गए. भारी बारिश के बीच मजदूर फरार हो गए.
शहर के ऋषि भवन में रखे गए इन मजदूरों का कहना है कि उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही है. कई लोगों को एक साथ रख दिया गया है, जिसकी वजह से वो घबराएं हुए है.
लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की बेबस दास्तान
हालात ही ऐसे हैं कि अलग-अलग जगहों से मजदूरों की बेबसी की कहानी सामने आ रही है. पंजाब के लुधियाना में बिहार और उत्तर प्रदेश से आए मजदूर मजबूर हैं. ना तो उनके पास काम और ना ही उन्हें खाने को मिल रहा है और जो मिल रहा है वो भी खाने लायक नहीं.
इन मजदूरों की आंखों में घर जाने की जल्दबाजी दिख रही है. लॉकडाउन ने इनका रोजगार छिन लिया है, बस ये सरकार से एक ही अपील कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द उनके घर भेज दिया जाए.
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लॉकडाउन में लंबे वक्त से फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को अब घर जाना नसीब हुआ है, धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों से मजदूर घर जाना शुरू हो गए हैं. लेकिन इस बीच कई जगह लगातार देरी होने की वजह से मजदूर के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. वो बेबस है और भला करें भी तो क्या करें?
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