पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने किया तीन सदस्यीय कमेटी का गठन, कहा- सरकार का स्टैंड क्लियर नहीं
पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश आया है. कोर्ट ने अपनी तरफ से 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी 8 हफ्ते में रिपोर्ट देगी इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी.
नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की 3 जजों की बेंच ने मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया. CJI ने कहा कि हम केन्द्र सरकार की ओर से खुद ऐक्सपर्ट कमेटी बनाने के सुझाव को खारिज करते हैं.
3 सदस्यीय कमेटी का हुआ गठन
कोर्ट ने अपनी तरफ से 3 सदस्यीय कमेटी गठित की, जिनमें जस्टिस आर. वी. रवीन्द्रन, आलोक जोशी (IPS), संदीप ओबरॉय (तकनीकी जानकार) शामिल होंगे. इसके अलावा कमेटी को 3 लोग तकनीकी सहायता देंगे जिनमें डॉ. नवीन कुमार चौधरी (डीन, नेशनल फोरेंसिक साइंस कमिटी, गांधीनगर). डॉ. प्रभाकरन (प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, अमृत विश्व विद्यापीठम, केरल). डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे) शामिल होंगे.
8 हफ्तों में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
कमेटी 8 हफ्ते में रिपोर्ट देगी इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद को विक्टिम बताते हुए निजता के अधिकार का हनन का हवाला दिया है. उन्होंने कहा, "मैं खुद निजता के अधिकार को लेकर बात करता रहा हूं. टेक्नोलॉजी के इस युग में निजता के अधिकार की रक्षा सभी नागरिकों के लिए जरूरी है. हर अधिकार पर उचित पाबंदी लगाई जा सकती है, पर ये सब संविधानिक दायरे में होनी चाहिए."
आरोप साबित करने के लिए उपलब्ध नहीं थे मैटीरियल
आगे कहा गया, "याचिकाओं में तथ्य की कमी आई. जरूरी मैटीरियल उनके साथ उपलब्ध नहीं थे आरोप साबित करने के लिए. कोर्ट ने सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर दायर याचिका पर ऐतराज जाहिर भी किया, लेकिन आरोप संजीदा थे, लिहाजा हमने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार ने अपनी ओर से दाखिल हलफनामे में मांगी गई सीमित जानकारी भी देने से इंकार किया. अगर ऐसा नहीं होता तो कोर्ट से बोझ कम होता."
13 सितंबर को आदेश रखा गया था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार हमेशा नेशनल सिक्योरिटी का यूं हवाला नहीं दे सकती. सरकार को अपना स्टैंड जस्टिफाई करना चाहिए था. कोर्ट मूकदर्शक नहीं रह सकता ऐसे में आरोप संजीदा है, सरकार का स्टैंड क्लियर नहीं है, लिहाजा हम कमेटी का गठन करने जा रहे है. गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक निष्पक्ष कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया था, जो कोर्ट की निगरानी में काम करेगी. कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह अपनी तरफ से कमिटी का गठन करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को मामले में आदेश सुरक्षित रखा था.
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