नई दिल्ली: PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से 98 मिनट का भाषण दिया है. इसमें आगामी 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों का एजेंडा भी सेट कर दिया है. माना जा रहा है कि साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा इन्हीं मुद्दों के इर्दगिर्द चुनावी मैदान में बेटिंग कर सकती है. आइए, जानते हैं कि PM मोदी ने अपने भाषण से कैसे चुनावी राज्यों को साधने के लिए क्या कहा?


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इन राज्यों में चुनाव
साल के अंत तक झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा के सामने महाराष्ट्र और हरियाणा में कुर्सी बचाने की चुनौती होगी. जबकि झारखंड और जम्मू-कश्मीर में पार्टी सत्ता में आने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी.


कहां-क्या चुनावी मुद्दा?
महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में भाजपा धर्म के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतर सकती हैं. इस दौरान उन्होंने UCC का मुद्दा भी उठाया. CM एकनाथ शिंदे भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. PM ने कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो. हम पड़ोसियों का सुख और शांति चाहते हैं. महाराष्ट्र में मुसलमान 12 प्रतिशत हैं, BJP यहां पर पोलराइजेशन कार्ड खेल सकती है.


झारखंड: PM नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत आदिवासी समाज के नायक भगवान बिरसा मुंडा से की. PM ने आदिवासी समुदाय को साधने के लिए कहा कि 1857 से पहले भे देश की आजादी के लिए आदिवासी लड़ रहे हैं. बता दें कि 1855 में बंगाल के संथाल परगना (अब ये झारखंड का हिस्सा है) में सिद्धो-कान्हू के नेतृत्व में एक आंदोलन हुआ. इसे संथाल विद्रोह कहा जाता है. इसमें करीब 30 हजार संथालियों को मौत हुई थी. फिर भी संथाली अपने इलाके से अंग्रेजों को भगाने में कामयाब हुए.


हरियाणा: हरियाणा में भाजपा ने नॉन-जाट पॉलिटिक्स करने की दिशा में कदम बढ़ाया था. लोकसभा चुनाव से पहले OBC समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को CM बनाया. लेकिन दलित, अल्पसंख्यक और जाट वोटर्स कांग्रेस की तरफ झुके हुए नजर आ रहे हैं. CSDS का सर्वे बताता है कि हरियाणा में भाजपा को जातिगत मुद्दों से नुकसान हुआ है. इसलिए पार्टी यहां धार्मिक मुद्दों के इर्दगिर्द चुनावी तानाबाना बुनने की कोशिश में है. UCC का मुद्दा भाजपा को यहां सत्ता तक पहुंचने की राह के तौर पर नजर आ रहा है.


जम्मू-कश्मीर: PM मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद और सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा भी उठाया. ये मुद्दा जम्मू-कश्मीर में कारगर साबित हो सकता है. यहां पर 90 विधानसभा सीटें हैं. जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हैं. 


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