नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. 21 दिनों के लॉकडाउन की मियाद 14 अप्रैल को खत्म हो रही है ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लॉक डाउन समाप्त किया जाएगा या कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ेगा. कई राज्य सरकारें इसे आगे बढ़ाने पर विचार कर रही हैं. दूसरी तरफ पीएम मोदी इस विकट समस्या पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.


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पीएम मोदी ने मंत्रियों को दिए आवश्यक निर्देश


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में प्रेरित, संकल्पित और सतर्क रहने की जरूरत है. उन्‍होंने संबंधित मंत्रियों से कहा कि वे गरीब कल्‍याण योजना पर ध्‍यान दें कि उसके फायदे बिना किसी रुकावट के लाभार्थियों तक पहुंचें. उन्‍होंने कहा कि जो जिले हॉटस्‍पॉट्स हैं वहां मौके के हालात से वाकिफ रहें और समस्‍याएं दूर करें. PDS सेंटर्स पर भीड़ ना हो, मॉनिटरिंग ठीक से करें और शिकायतों पर फौरन एक्शन लें.  साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि जरूरी दवाओं का उत्‍पादन ठीक समय पर हो और प्रोटेक्‍शन इक्विपमेंट्स भी जल्‍दी बनें.


लॉकडाउन की वजह से कारोबार बिल्कुल ठप


उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से उन 10 बड़े फैसलों और 10 प्राथमिकता वाले इलाकों की लिस्‍ट तैयार करने को कहा है जो वे लॉकडाउन के बाद करना चाहते हैं. पीएम ने यह भी कहा कि चुनौतियों के बीच, भारत को दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम करने की जरूरत है. इस लॉक डाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. देश का पूरा कारोबार घाटे में चल रहा है.


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आर्थिक वृद्धि की रफ्तार घटी


लॉकडाउन का घरेलू कंपनियों की आय और लाभ दोनों में इस तेज गिरावट का असर देश की आर्थिक वृद्धि दर पर भी पड़ेगा. रोजगार के स्तर पर इनसे संबंधित क्षेत्रों में 52 फीसदी तक नौकरियां कम हो सकती हैं. CII के सर्वेक्षण के अनुसार, 'लॉकडाउन खत्म होने के बाद 47 फीसदी कंपनियों में 15 फीसदी से कम नौकरियां जाने की संभावना है. वहीं 32 फीसदी कंपनियों में नौकरियां जाने की दर 15 से 30 फीसदी होगी.' आपको बता दें कि कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए 21 दिनों के देशव्यापी लॉक डाउन का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने एक सर्वेक्षण में भारी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा जताया है.


घट सकती है देश की GDP


केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी लेन-देन में मामूली कमी गैर जरूरी सामानों के खपत में कमी ला रही है. हालांकि 21 दिनों के लॉक डाउन के दौरान यदि घरेलू आपूर्ति चैन बाधित होती है तो यह असर और ज्यादा दिख सकता है क्योंकि जरूरी कमोडिटी की उपलब्धता भी इससे प्रभावित हो सकती है. आशंका है कि इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में दो से तीन प्रतिशत की कमी आ सकती है.