नई दिल्‍लीः एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी, दूसरी तरफ JNU, इनके साथ स्वामी विवेकानंद. प्रधानमंत्री ने वामपंथ के अड्डे जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण कर दिया. 


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हालांकि PM Modi यह अनावरण प्रत्यक्ष नहीं किया. न ही वह प्रत्यक्ष मौजूद रहें, लेकिन फिर भी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, जो कि वामपंथी विचारधारा का गढ़ है वहां किसी कार्यक्रम में पीएम मोदी की सहभागिता हुई.  


विरोध के सुर भी उठ रहे हैं
स्वामी विवेकानंद ने समस्त विश्व को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया. कई मंचों से वैदिक सूक्ति एकः सूते सकलम् का उद्घोष किया. लेकिन शिक्षा के मंदिर में कई बार उनकी प्रतिमा को लेकर विरोध के सुर भी गूंजते रहे हैं. गुरुवार को आखिर जब उनकी प्रतिमा का अनावरण हुआ. इस दौरान भी विरोध की साजिश भरपूर हुई. पीएम मोदी की वर्चुअल उपस्थिति को लेकर JNU का वामपंथी धड़ा विरोध की आग लगाने में जुटा रहा. 


पोस्टर हो रहा है शेयर
कार्यक्रम से पहले सोशल मीडिया व अन्य कई माध्यमों पर एक पोस्टर शेयर किया गया. जिसमें MODI GO BACK! लिखा था. JNUSU की ओर से एक विरोध व धरना प्रदर्शन 12 नवंबर यानी गुरुवार को बुलाया गया था. इस दौरान केंद्र सरकार को शिक्षा व छात्र विरोधी बताते हुए सरकार के खिलाफ इकट्ठा होने की अपील की गई थी. लेकिन वामपंथियों का ये विरोध असफल रहा. प्रतिमा का अनावरण हो गया. 



अंत में लिखा है, JNU है छात्रों का संघ की जागीर नहीं. स्पष्ट है कि यह विरोध गुरुवार शाम को इसीलिए रखा गया  था,  ताकि इसी दौरान प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम में हंगामा मचे. 


JNU मे होता रहा है विवाद
जेएनयू के कई छात्र व छात्रनेता खुलकर मोदी के विरोध में सामने आते रहे हैं. पिछले कुछ सालों में जेएनयू कई बार विवादों के घेरे में रहा है. तीन साल पहले स्वामी जी की इस मूर्ति का निर्माण शुरू हुआ था. 2018 में काम पूरा हो गया था और तब से मूर्ति ढकी रखी है.



JNU छात्रों ने लगातार मूर्ति के निर्माण को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन का विरोध किया है. फंड आदि को लेकर भी लगातार सवाल उठाए हैं. 


मूर्ति के साथ पिछले साल हुई थी छेड़छाड़
स्‍वामी विवेकानंद की मूर्ति पर भी विवाद हो चुका है. पिछले साल नंबवर में कपड़े से ढकी विवेकानंद की मूर्ति के आसपास और कैंपस में कुछ जगह नारे लिखे मिले थे. मूर्ति के नीचे कुछ अपशब्द भी लिखे हुए थे. जेएनयू के स्टूडेंट्स ने कहा था कि, अपशब्द BJP के लिए लिखा गया था, जो गलत हरकत है. वहीं JNUSU का आरोप था कि यह काम ABVP ने ही किया था.


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