महाशक्तियों का मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं पीएम मोदी
अमेरिका और रूस की अदावत जग जाहिर है. लेकिन पीएम मोदी ने अपनी कूटनीति के चक्कर में फंसाकर दोनों को अपना साथ देने के लिए मजबूर कर दिया है. जबकि रूस से संबंधों को लेकर अमेरिका कई बार भारत को चेतावनी जारी कर चुका है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक कूटनीति का केन्द्र बन चुके हैं. उन्होंने अब चीन को सबक सिखाने के लिए कमर कस ली है. अमेरिका ने तो भारत के पक्ष में अपनी नौसेना भेज ही दी है.
रूस भी हथियारों की सप्लाई लगातार जारी रखेगा. भले ही अमेरिका और रूस में आपसी होड़ जारी हो. लेकिन पीएम मोदी के प्रभाव के सामने दोनों भारत का साथ देने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं.
पीएम मोदी की फोन कूटनीति
गुरुवार यानी 2 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के साथ फोन लंबी चर्चा की. इस दौरान पीएम मोदी और पुतिन के बीच क्या बात हुई इस पर तो ज्यादा खुलासा नहीं हो पाया. लेकिन बताया जा रहा है कि उन्होंने औपचारिक रुप से रूस को द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में जीत की 75वीं वर्षगांठ की बधाई दी. लेकिन महत्वपूर्ण बात ये थी कि दोनो नेताओं ने दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
व्लादिमीर पुतिन रूस की सत्ता पर साल 2036 तक बने रहेंगे. रूसी जनता ने इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन पर मुहर लगा दी है. पीएम मोदी ने पुतिन को इस बात की भी बधाई दी है.
इसके अलावा पीएम मोदी ने वार्षिक द्विपक्षीय वार्ता के लिए पुतिन को भारत आने का निमंत्रण भी दिया.
रूस से भारत को हथियारों की अबाध सप्लाई
चीन के खिलाफ तनाव की स्थिति में रूस ने भारत को हथियारों की सप्लाई शुरु कर दी है. कुछ ही दिनों पहले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस का दौरा करके S-400 एंटी मिसाइल सिस्टम जैसे कई महत्वपूर्ण हथियारों की डिलिवरी जल्द कराए जाने का आग्रह किया था. रूस से भारत कई तरह के हथियार आने हैं. जिनके लिए एडवांस पेमेन्ट किया जा चुका है.
भारत और रूस के बीच S-400 की डील साल 2018 में 40 हजार करोड़ रुपये में हुई थी. जिसमें भारत को पांच यूनिट्स मिलने वाली हैं. इसके अलावा रूस से 31 फाइटर जेट और टी-90 टैंक के कलपुर्जे भी मिलने वाले हैं.
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रूस से हथियारों की खरीद पर अमेरिका ने दी थी भारत को धमकी
अमेरिका भारत के रूस से हथियार खरीदने का सख्त विरोधी था. मुश्किल से एक महीने पहले यानी 20 मई को अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी एलिस वेल्स ने धमकी दी थी कि रूस से 40 हजार करोड़ रुपये के एस -400 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
इस डील पर अमेरिका ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि उसके खिलाफ काटसा एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है. पिछले साल भारत ने एस-400 के लिए 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था.
इस डील की वजह से अमेरिका भारत से भी नाराज था. क्योंकि अमेरिका ने रूस पर काटसा के तहत प्रतिबंध लगाए थे. इस कानून में रूस से रक्षा सामान खरीदने वाले देशों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2017 में ‘काटसा’ पर हस्ताक्षर किए थे.
लेकिन प्रतिबंध लगाने की बजाए भारत के लिए सेना भेज रहा है अमेरिका
चीन से जारी भारत के तनाव में अमेरिका सारी पुरानी बातें भूल चुका है. वह जानता है कि भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस से हथियार खरीदने मास्को गए हैं. लेकिन अमेरिका ने उस तरफ से अपनी नजरें फेर रखीं हैं.
इसकी बजाए अमेरिका पीएम मोदी के कूटनीतिक जाल में फंसकर भारत के समर्थन में अपनी सेना उतारने की तैयारी कर रहा है.
चीन और भारत के बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने भारत के पक्ष में अपनी फौज की तैनाती का इरादा साफ कर दिया है. अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटाकर 25 हजार कर रहा है. बाकी बचे हुए सैनिकों की तैनाती एशिया में की जाएगी.
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अमेरिका हिन्द महासागर स्थित सैन्य ठिकाने डिएगो-गर्सिया पर पहली बार में 9500 सैनिकों को तैनात करेगा. इसके अलावा ताइवान में फौजियों की तैनाती हो सकती है. अमेरिका के सैन्य ठिकाने जापान, दक्षिण कोरिया, डिएगो-गर्सिया और फिलीपींस में है.
पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं. अमेरिका अपने सैनिकों की संख्या और बढ़ा रहा है.
पीएम मोदी ने रूस और अमेरिका दोनों को किया मजबूर
रूस से भारत के पुराने रक्षा संबंध हैं. जिसकी वजह से अपने कम्युनिस्ट भाई चीन के खिलाफ पुतिन भारत का साथ देने के लिए मजबूर हैं. वह भारत को हथियारों की खेप भेज रहे हैं. जबकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि इसका इस्तेमाल भारत चीन के खिलाफ ही करेगा. उधर रूस से हथियार मंगाते हुए भारत को देखते हुए भी अमेरिका अपनी आंखे मूंदे हुए है. क्योंकि वह जानता है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में चीन पर अंकुश लगाने का काम केवल भारत ही कर सकता है.
इस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति के पाश में बंधे चिर शत्रु रूस और अमेरिका दोनों को आपसी मतभेद दरकिनार करके एक साथ भारत की मदद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
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