चीन के 'पाप का घड़ा' फूटने ही वाला है, देखिए 6 अहम सबूत

लद्दाख के मुद्दे पर चीन की हमसे झड़प क्या हुई. दुनिया भर में चीन की घेराबंदी शुरु हो गई. आगे से भारतीय सेना और पीछे से दुनिया भर की फौजें. चीन  विवश होता जा रहा है. ये चीन की एक गलती नहीं बल्कि चार दशक पुराने पापों का नतीजा है. जो ऐसे सामने आ रहा है.  

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Jul 1, 2020, 06:58 AM IST
    • चीन के खिलाफ दुनिया एकजुट
    • चीन से बहुत दिनों से परेशान थे सभी देश
    • भारत ने दिखाया चीन को हराने का रास्ता
चीन के 'पाप का घड़ा' फूटने ही वाला है, देखिए 6 अहम सबूत

नई दिल्ली: गाहे बगाहे भारतीय सीमा में घुस आना..टेंट गाड़कर महीनों तक बैठे रहना.. भारतीय फौज के गश्ती दलों पर टीका टिप्पणी करना और कभी कभी तो हाथापाई करना. ये चीनी फौज की आदत बन चुकी थी. लेकिन गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीन की सेना औकात में आ गई है. लेकिन चीन को सबक सिखाने के लिए इतना काफी नहीं है. भारत ने चीन का झूठा घमंड उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. यही नहीं चीन के खिलाफ जापान, वियतनाम जैसे उसके पड़ोसियों के साथ साथ यूरोप और अमेरिका ने भी भारत का साथ देने के लिए कमर कस ली है.

1. चीन के पिछवाड़े पर मिसाइलें लेकर खड़ी 25 देशों की सेना    
चीन की सीमा पर देशों की सेना बिल्कुत मुस्तैद खड़ी हैं. ये देश हैं अमेरिका, भारत, जापान, इजरायल, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, मैक्सिको, चिली, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, कोलंबिया, मलेशिया, नीदरलैण्ड, न्यूजीलैण्ड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैण्ड, श्रीलंका, वियतनाम और ताइवान. खास बात ये है कि इस नौसैनिक अभ्यास से पाकिस्तान, तुर्की, ईरान और रूस को दूर रखा गया है. जो कि चीन के लिए विशेष चिंता का कारण है. 
इस वीडियो में देखिए कैसे चीन के खिलाफ एकजुट हो रही हैं दुनिया भर की ताकतें--

इन सभी देशों की नौसेना एक विशाल नौसैनिक युद्ध अभ्यास कर रही हैं. लेकिन यह अभ्यास मात्र नहीं बल्कि इससे बेहद ज्यादा है. इसकी वजह से इंडो पैसिफिक सागर में हलचल मची हुई है. अभी कुछ ही दिनों पहले दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना ने अमेरिकी जहाजों से मात्र कुछ ही दूरी पर विस्फोटक नौसैनिक अभ्यास किया था. जिसकी वजह से अमेरिका नाराज है. कहा जा रहा है कि अमेरिका ने इसी वजह से 25 देशों के इस विशाल अभ्यास का आयोजन किया है. लेकिन लद्दाख में भारत के साथ उलझा चीन इस नौसैनिक अभ्यास की टाइमिंग के कारण खौफ में है.   

युद्ध अभ्यास के बहाने इन सभी देशों ने अपने हथियार निकालकर चौकस कर लिए हैं. अब इंतजार है तो सिर्फ चीन की तरफ से किसी दुस्साहस का. अगर चीन ने लद्दाख की सीमा पर किसी तरह की गलती की तो ये उसकी आखिरी गलती साबित होगी.   
2. चीन की दादागीरी से परेशान थी दुनिया
चीन पूरी दुनिया के देशों को धौंस दिखाता फिरता था. लद्दाख का विवाद कोई नया नहीं है. चीन हमेशा से वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC)का उल्लंघन करके भारतीय संप्रभुता को चुनौती देता था. 
इसके अलावा चीन ने श्रीलंका, मालदीव, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीकी देश जैसे देशों को कर्ज के जाल में डुबाकर उनकी संप्रभुता खरीदने की कोशिश की. 
अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के जरिए तबाही मचाने का गुनाह किया. चीन अपनी तकनीकी और आर्थिक ताकत के बलबूते पूरी दुनिया पर काबिज होने की ख्वाहिश पालता रहा है. 
क्योंकि चीन एक वामपंथी देश है. वह ईश्वर की सत्ता पर विश्वास नहीं करता. उसे लगता है कि ताकत के बल पर पूरी दुनिया को कब्जे में लिया जा सकता है. चीन लोकतंत्र का भी शत्रु है. चीन को लगता है कि लोकतंत्र को पैसे से खरीदा जा सकता है. 

 

3. अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत का चीन ने किया भारी दुरुपयोग

 

1980 के पहले तक चीन एक गरीब देश था. उसके लिए अपनी बड़ी आबादी के लिए खाना जुटाना मुश्किल था. लेकिन डेंग जियाओ पिंग के समय में चीन ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया और अगले 10 से 15 सालों में दुनिया की आर्थिक ताकत बनकर उभरा. चीन पूरी दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनकर सामने आया. लेकिन चीन अपनी इस नई ताकत का दुरुपयोग करने लगा.   
आर्थिक महाशक्ति बनने के बाद चीन ने दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों के नेताओं को खरीदना शुरु किया. आज हालत ये कि दक्षिण एशिया के कई देशों में चीन समर्थक राजनीतिक ताकतें मौजूद हैं. कई छोटे देशों में तो चीन ही सरकारें बनवाता और बिगड़वाता भी है. 

चीन परोक्ष रुप से पाकिस्तान जैसे देशों के जरिए आतंकवादियों को पालता भी है और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों से उनका बचाव भी करता है. 

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दुनिया के छोटे देश चीन के आर्थिक जाल में फंस कर तबाह हो रहे हैं. वहीं भारत और अमेरिका जैसे बड़े देशों के लिए चीन ने वहां के राजनीतिक लॉबी में पैसों के जरिए घुसपैठ का रास्ता चुना और उन्हें अपने शिकंजे में कसने की कोशिश की. 
चीन की इन हरकतों की अनदेखी नही की जा सकती.  
4. चीन के खिलाफ ऐसे ही नहीं एकजुट हो रही है दुनिया
चीन की करतूतों पर पूरी दुनिया की नजर थी. लेकिन चीन की विशाल आर्थिक ताकत के आगे सभी देश दबा हुआ महसूस कर रहे थे. ऐसे में चीन ने कोरोना वायरस खड़ा कर दिया. जिसके बाद दुनिया चीन के खिलाफ मुखर होने लगी. 
वामपंथी देश चीन का सबसे बड़ा दुश्मन लोकतंत्र है. इसलिए लोकतांत्रिक देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा बनाना शुरु कर दिया. खास बात ये है कि इस समय दुनिया के 90 फीसदी देशों में वामपंथ विरोधी राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक सरकारें मौजूद हैं. जो चीन के एकाधिकार से परेशान थीं. 


अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप कई बार चीन को धमकी दे चुके हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद खुले तौर पर चीन को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं.
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5. भारत से उलझकर चीन ने बर्दाश्त की हद पार कर दी
कोरोना संकट के दौरान पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ माहौल बन चुका है. लेकिन अपनी ताकत के नशे में चूर चीन इसे समझ नहीं पा रहा है. भारत को काफी समय से चीन की धौंस-पट्टी से परेशान था.  
चीन को ही सबक सिखाने के लिए पिछले 6 साल में भारत ने दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी बैकअप परमाणु पनडुब्बियों का बेड़ा खड़ा किया है. हिंद महासागर में विशाल युद्धपोत उतारे गए हैं. चिनूक, अपाचे, बराक-8, राफेल, इजरायली टनल बम, द्रोण, कई तरह की होवित्जर तोपें, ग्लोबमास्टर, मिग के अपग्रेडेड विमान, ब्रह्मोस, अर्जुन टैंक का एडवांस वर्जन और काली जैसे मारक हथियारों का सफल प्रयोग करके उसे भारतीय सेना में शामिल किया गया है.


भारत ने रिकॉर्ड समय में पूर्वोत्तर में सबसे ऊंचा पुल, एरोड्रम, सड़कें, डबल गेज रेल लाइन, लद्दाख में 60 टन क्षमता का पुल तैयार किया है. 
यह सब तैयारियां चीन को ध्यान में रखते हए ही की गई हैं. ये सब चंद दिनों की तैयारी नहीं बल्कि काफी समय से काम चल रहा था. भारत में चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ यानी CDS की नियुक्ति इसी कवायद का हिस्सा थी.      
6. चीन से परेशान दुनिया को भारत ने दिखाया मुक्ति का रास्ता
चीन की हरकतों से पूरी दुनिया परेशान थी. सबसे नजदीकी पड़ोसी होने के नाते भारत ने दुनिया को चीन की दादागीरी से निपटने का रास्ता दिखाया है. गलवान घाटी में निहत्थे भारतीय फौजियों ने चीनी सैनिकों को जितनी बुरी तरह पराजित किया. उससे दुनिया को समझ में आ गया कि चीन को सिर्फ भारत ही रास्ते पर ला सकता है. 


चीन के खिलाफ भारत के कदमों से प्रेरणा लेकर वियतनाम से दक्षिण कोरिया चीन के खिलाफ मोर्चाबन्दी शुरू हो गई है. जापान ने चीन के खिलाफ बैलेस्टिक मिसाइलें तैनात कर दी. ताइवान ने भी कमर कस ली. ऑस्ट्रेलिया ने मोर्चा खोल दिया. अमेरिका के 3 युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में तैनात हो गए. जापान में अमेरिका के 60000 सैनिक हर वक़्त तैयार बैठे हैं. अमेरिकी नौसेना का एक पूरा बेड़ा जापान में तैनात कर दिया गया है. 
अमेरिका अपनी सेना को यूरोप से हटाकर दक्षिण एशिया के वियतनाम, ताइवान और सिंगापुर में तैनात कर रहा है. 

ऐसे में चीन का विनाश तय है. उसे कोई रोक नहीं सकता. अब तो बस ट्रिगर दबने की देर है. 

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