देशवासियों से बोले पीएम मोदी, संयम और संकल्प है कोरोना का सशक्त उपचार
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच पीएम मोदी ने देश वासियों को संबधित किया. उन्होंने कोरोना से बचने के कई उपाय बताए और लोगों को अफवाहों और झूठ से बचने की सलाह दी.
दिल्ली: आपको बता दें कि देश में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 175 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि हर भारतीय को सतर्क रहने की जरूरत है. पीएम ने कहा कि पूरा विश्व इस समय संकट के गंभीर दौर से गुजर रहा है. कभी कोई प्राकृतिक संकट आता है तो कोई देश या राज्यों तक सीमित रहता है. इस आपदा ने दुनिया भर के लोगों को संकट में डाल दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयां, जीवन के लिए जरूरी ऐसी आवश्यक चीजों की कमी ना हो, इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं.
मजबूत संकल्प और संयम है कोरोना से बचाव का तरीका- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कोरोना से बचने के लिए दो रास्तों का जिक्र किया. पहला संकल्प, दूसरा संयम. उन्होंने कहा कि "आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए अपने नागरिक होने के नाते केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन करेंगे. हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरे को भी बचाएंगे."
मैंने देशवासियों से जो भी मांगा,वो मिला- पीएम मोदी
पीएम ने कहा कि उन्होंने जब भी देश से जो कुछ भी मांगा है लोगों ने उन्हें निराश नहीं किया है. पीएम ने कहा कि वे आज सभी देशवासियों से कुछ मांगने आएं हैं. पीएम ने अपनी मांग बताते हुए कहा कि मुझे आपका कुछ सप्ताह चाहिए, कुछ समय चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी तक कोराना वायरस का कोई इलाज नहीं मिल पाया है, न ही इसका वैक्सीन बन पाया है.
कोरोना से पूरी मानव जाति को संकट में- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बार का संकट जैसा है जिसने पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है. पीएम ने कहा कि जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, दूसरा विश्व युद्ध हुआ था तो भी इतने देश प्रभावित नहीं हुए थे, जितना इस बार कोरोना वायरस की वजह से हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारत के 130 करोड़ों लोगों ने कोरोना वायरस का डटकर मुकाबला किया है. बीते कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि जैसा कि हम बचे हुए हैं, ऐसा लगता है कि हम निश्चिंत हो गए हैं. लेकिन ऐसा सही नहीं है.
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