पटना: पिछले दिनों जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी के नागरिकता संशोधन कानून पर भाजपा का साथ देने के बाद बवाल खड़ा कर दिया था. वे अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलने लग गए थे. पार्टी के मुखिया सीएम नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई, बातचीत हुई और तब जा कर उनके अनुसार एक सहमति बनी कि पार्टी सिर्फ CAA पर भाजपा का साथ दे रही है, NRC पर आज भी उनका वहीं स्टैंड है. अब पीके कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी को CAA और NRC पर अडिग रहने का ज्ञान बांच रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी आधिकारिक रूप से यह ऐलान कर देना चाहिए कि वे उन राज्यों में इन कानूनों को लागू नहीं करेंगे जहां भी उनकी सरकार है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पीके ने कहा कांग्रेस शासित प्रदेशों में मत लागू करें CAA और NRC



पीके ने कांग्रेस और राहुल गांधी को दिल्ली के राजघाट पर कानून का विरोध करने के लिए धन्यवाद कहा और उनकी तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह करना चाहिए कि वह प्रोटेस्ट के अलावा इस कानून को अपने राज्यों में किसी भी हाल में लागू न होने दें. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों ने क्या कहा मुझे यह बताने से ज्यादा अच्छा यह होगा कि वे आधिकारिक रूप से कानून के लागू न करने की ही घोषणा कर दें. 


पीके लगातार कर रहे हैं विरोध का समर्थन


मालूम हो कि प्रशांत किशोर पिछले कुछ दिनों से जब से केंद्र सरकार ने कानूनो को पारित कर लिया है, लगातार विरोध जताते नजर आ रहे हैं. प्रशांत किशोर ने यहां तक की हो रहे अहिंसक प्रदर्शनों का समर्थन भी किया है. उन्होंने कहा कि यहीं एक तरीका है जिससे कानून की खिलाफत की जा सकती है, लेकिन शांत और अहिंसक तरीके से. पीके ने ट्विटर पर लगातार आंदोलनों की तस्वीरें साझा की है. उनका मानना है कि भारत जैसे पंथ निरपेक्ष राज्य में इस कानून की आवश्यकता नहीं. 


अमित शाह और भाजपा से खीझ दिखती रही है हाशिए पर



प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी के साथ उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान काम किया है. उस वक्त वे उनके काफी करीबी आ गए थे. इसके बाद से ही कई मौकों पर भाजपा और खासकर गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ जहर उगलते आए हैं. बिहार में जदयू के साथ भाजपा की सांठ-गांठ होने की वजह से कई मौकों पर पीके के बगावती तेवर आ नहीं पाए हैं, लेकिन कई ऐसे मौके भी आए हैं जब पीके ने गठबंधन सरकार की परवाह न करते हुए अपनी बात रखी है. फिलहाल का विरोध प्रदर्शन उन्हीं कुछ मौकों में से एक है.