नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा.


पीएम मोदी का UN में संबोधन


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प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र में ‘मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे’ के बारे में उच्च स्तरीय संवाद को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मरुस्थलीकरण से निपटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया.



PM Modi ने कहा कि भूमि जीवन और आजीविका के लिए मूलभूत अंग है और सभी को इसे समझाने की जरूरत है.


मोदी ने कहा कि हमने कुछ नए तरीके अपनाए हैं जिसका एक उदाहरण है कच्छ का बन्नी इलाका है. कम बारिश वाले इलाके को घास के मैदान के रूप में विकसित किया.



उन्होंने कहा, ‘दुखद है कि भूमि क्षरण ने आज दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा.’



प्रधानमंत्री ने बोला कि ‘इसलिए हमें भूमि और इसके संसाधनों पर भयंकर दबाव को कम करना होगा. अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हम साथ मिलकर इसे कर सकते हैं.’


भारत ने 30 लाख हेक्टेयर जमीन को जोड़ा


मोदी ने कहा कि भारत में भूमि को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है और इसे लोग अपनी माता भी मानते हैं. भारत ने भूमि क्षरण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाया है. पिछले 10 वर्षों में भारत ने 30 लाख हेक्टेयर जमीन को जोड़ा है.



उल्लेखनीय है कि इस उच्चस्तरीय संवाद में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से निपटने में किये गये प्रयासों में हुई प्रगति का आकलन किया जाना है. साथ ही इसमें मरुस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष करने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र की कार्य योजना भी तैयार की जाएगी.


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