नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस के अंदर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत हो गई है, सिद्धू की अगुवाई वाली पंजाब कांग्रेस अब राज्य में अपना सीएम बदलना चाहती है. पंजाब कांग्रेस के महासचिव समेत पंजाब कैबिनेट के 4 मंत्री खुलेआम विद्रोह पर उतर आए हैं.


मंत्रियों को नहीं पसंद हैं सीएम कैप्टन


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चार साल तक चुपचाप सत्ता की मलाई खा रहे इन मंत्रियों ने अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग शुरू कर दी है. इनकी नाराजगी इतनी है कि ये देहरादून तक पहुंच गए. कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने हालांकि बातचीत से सुलह करने की बात कही और पंजाब में कैप्टन को ही कांग्रेस का चेहरा बताया.


कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने बोला कि 'केवल सिद्धू ही कांग्रेस में नहीं है, अमरिंदर सिंह जी हैं, बाजबा जी है, अंबिका सोनी जी हैं. तो इन सबको साथ लेकर चलेगें. 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा.'


सिद्धू को कांग्रेस ने लगाई फटकार!


हरीश रावत कुछ भी कहें, लेकिन होगा वही जो कांग्रेस की सुपर फैमिली यानी परिवार चाहेगा और अब तक वो परिवार नवजोत सिंह सिद्धू के साथ खड़ा दिख रहा है. क्योंकि 4 साल की सत्ता के बाद अचानक 4-4 मंत्रियों के अंदर बगावत फूटी है. ये बगावत तब फूटी है जब सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रधान बने हैं और सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की प्रधानी उसी परिवार ने सौंपी है. वो भी कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे भरोसेमंद सिपाही को दरकिनार करके..


कांग्रेस नेता परनीत कौर ने कहा कि 'साढ़े चार साल पर मंत्री बने रहे तब किसी को कोई दिक्कत नहीं थी. अब एकदम से दिक्कत हो गई है.' तो एक लिहाज से पार्टी की अंदरूनी लड़ाई दिखती है, लेकिन गौर करेंगे तो पता चलेगा कि ये सिर्फ पार्टी की अंदरूनी लड़ाई नहीं है.


असली मसला क्या है? समझिए


इस पूरे घटनाक्रम का पूरे देश की सुरक्षा से भी संबंध है. इसका आतंकवाद और अलगाववाद से भी संबंध है. इसका कश्मीर, खालिस्तान, पाकिस्तान से भी संबंध है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में एक पक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का है. दूसरी ओर कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं. इन दोनों के बीच सार्वजनिक तनातनी का बड़ा कारण सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम भी रहा है.


क्योंकि पाकिस्तान के करतारपुर एपिसोड के दौरान इमरान खान के प्रेम में सिद्धू पाकिस्तान तक पहुंच गए, लेकिन पाकिस्तानी चाल को समझ रहे कैप्टन अमरिंदर करतारपुर नहीं गए. कांग्रेस नेतृत्व चुप रहा. करतारपुर जाकर सिद्धू ने पाकिस्तान जनरल बाजवा को गले तक लगा लिया, इमरान की तारीफों के पुल बांध दिये.


आखिर क्यों चुप है कांग्रेस का परिवार?


इन सबके बावजूद देश के वफादार फौजी रहे कैप्टन अमरिंदर ने इसका पुरजोर विरोध किया, लेकिन उस वक्त भी कांग्रेस नेतृत्व फिर भी चुप रहा. पाकिस्तान जाकर नवजोत सिद्धू ने खालिस्तानी के साथ खड़े होकर फोटो भी खिंचाये. इसका भी सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पुरजोर विरोध किया, लेकिन कांग्रेस का परिवार चुप रहा.


यहां तक कि सिद्धू ने ये भी संकेत दिये कि पाकिस्तान में उन्होंने जो कुछ किया उससे कांग्रेस नेतृत्व नाराज नहीं है और फिर कांग्रेस के परिवार ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया. तब भी कैप्टन अमरिंदर ने भरे मंच से सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम के खतरे से चेताया. कांग्रेस नेतृत्व तब भी चुप रहा.


हद तो तब हो गई जब सिद्धू ने ऐसे ऐसे लोगों को सलाहकार बनाया जो देशविरोधी मंसूबे पालते हैं. सिद्धू के एक सलाहकार ने कह दिया कि कश्मीर पर भारत का अवैध कब्जा है. कैप्टन अमरिंदर ने फौरन विरोध जताया लेकिन कांग्रेस नेतृत्व चुप रहा.


सिद्धू के ही दूसरे सलाहकार ने कह दिया कि चुनाव जीतना है तो पाकिस्तान परस्त बातें करनी होंगी. कैप्टन ने इसका भी विरोध किया, लेकिन परिवार चुप रहा. 


यहां तक कि खुलेआम पाकिस्तान की पैरोकारी करवा रहे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ कांग्रेस के नेता भी नाराज हो गए. मनीष तिवारी से लेकर राजकुमार वेरका और संदीप दीक्षित से लेकर हरीश रावत तक ने सिद्धू के सलाहकारों पर कार्रवाई की बात कही.


हरीश रावत ने ये तक कह दिया कि सलाहकार ऐसी बातें कहेंगे तो कार्रवाई होगी.


कांग्रेस नेता परनीत कौर ने कहा कि 'सिद्धू के पीए के जो शुरू किया है, तो जो भी अपने पीए को रखता है उसको सोच समझ कर रखना चाहिए. ये सिद्धू की तरफ से ही शुरू हुआ है. इसके लिए वो ही जिम्मेदार है.'


बीजेपी ने सिद्धू के खिलाफ उठाया सवाल


कांग्रेस के अंदर देश विरोधी बयानबाजी पर कार्रवाई की मांग होती रही लेकिन सिद्धू के सलाहकारों को कांग्रेस का अभयदान मिला रहा. दो हफ्ते बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब जाकर बीजेपी ने सवाल उठाया कि पंजाब में जो पाकिस्तान की मदद से चुनाव जीतने की देशविरोधी राजनीति हो रही है, वो कांग्रेस की सुपर फैमिली के इशारे पर तो नहीं हो रही.


बीजेपी के ये आरोप ऐसे ही नहीं हैं. पंजाब में कांग्रेस की सुपर फैमिली ने जिस नवजोत सिंह सिद्धू के हाथों में पार्टी की कमान सौंपी है. वो भी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक शब्द तक नहीं बोलते, चाहे कुछ हो जाए.


पाकिस्तान की करतूत और सिद्धू की चुप्पी


पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हमला कर दिया जाए. सिद्धू एक शब्द पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोलते. मजहबी आतंकवादी हमले में आधे दर्जन सिख नौजवान शहीद कर दिये जाएं. सिद्धू चूं तक नहीं करते. पाकिस्तान में सिखों की नाबालिग बेटियों को अगवा कर लिया जाए. सिद्धू इमरान खान को फोन नहीं करते. पाकिस्तान में सिख बेटियों का धर्म परिवर्तन करा दिया जाए, सिद्धू विरोध नहीं करते.


यहां तक कि पाकिस्तानी मदद से अफ़गानिस्तान पर जिस तालिबान ने कब्जा किया है. उस तालिबान ने जब निशान साहिब उतरवा दी. तब भी सिद्धू को न तो तालिबान पर गुस्सा आया न तालिबान के हमदम पाकिस्तान पर.. इसलिए बीजेपी सवाल उठाती है कि आखिर सिद्धू के इस पाकिस्तान प्रेम के पीछे वजह क्या है.


क्या खुद की बातें भूल गए हैं सिद्धू?


23 जुलाई 2021 को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि 'मेरे पिता स्वतंत्रता सेनानी थे, मैं उनके खून का वारिस हूं. मर जाएगा नवजोत सिंह सिद्धू, उस पिता को सजा ए मौत सुनाई थी अंग्रेजों ने.. जब नींद आती थी तो बाल खिचे जाते थे. आज मैं उनके दर्द का अहसास करता हूं. उनके जैसे कितने ही पंजाबी उस दर्द में डूबे हैं. उनके हक की लडाई लडनी है नवजोत सिंह सिद्धू ने ये पिता से प्रेरणा ली है.'


उसी दिन सिद्धू ने ये भी कहा था कि 'नवजोत सिंह सिद्धू एक छोटा सा वर्कर आज इस विराट कार्यकर्ताओं के संदर  के बीच पूरी तरह समा चुका है, समा चुका है उसका कोई अस्तित्व नहीं..'


सिद्धू जी के सलाहकार का कहना है कि पंजाब में अगर चुनाव जीतना है तो किसी को भी पाकिस्तान के विरोध में नहीं बोलना चाहिए. ये सलाहकार खाते हिंदुस्तान का हैं, और गाते पाकिस्तान का हैं. जैसा नेता, वैसा सलाहकार. ये बातें सिद्धू जी ने ही उनसे बुलवायी है.


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