लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ललितपुर के गौतमबुद्ध नगर के अस्पताल में आग शुक्रवार की सुबह आग लगने की घटना सामने आई है जिसके बाद एक बार फिर सरकारी और निजी अस्पतालों में आग से बचाव के लिए किये जाने वाले इंतजामों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना सामने आई है इससे पूर्व में भी ऐसी आगजनी घटनाएं हो चुकी है जिसके बावजूद अब तक आम जनता की सुरक्षा को लेकर सिर्फ लापरवाही ही देखने को मिल रही है.


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आग से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं


ललितपुर जिले की बात करें तो ललितपुर जिला संयुक्त पुरुष चिकित्सालय में अगर कभी आग लगने की घटना होती है तो यहां भर्ती हजारों मरीजों की जान सिर्फ भगवान के भरोसे ही है. क्योंकि इसकी वजह जिला संयुक्त चिकित्सालय में किसी भी तरह की फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था का नहीं होना है. उत्तर प्रदेश का ललितपुर जिला का अस्पताल करीब 24 साल पहले इस नयी बनायी गयी इमारत में ट्रांसफर किया गया था, लेकिन 24 साल से लेकर अब तक मरीजों और जिला अस्पताल की सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह के कोई प्रबंध नहीं किए गये हैं. ललितपुर जिला अस्पताल में ही करीब 2000 से 3000 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं. साथ ही करीब 1500 मरीज रोजाना रात को जिला अस्पताल में ही ठहरते हैं. इतने बड़े इस जिला अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं जो बहुत गंभीर मुद्दा है क्योंकि यह हजारों लोगों की जान पर कभी भी बन सकती है. अस्पताल में लगभग 200 बैड हैं वहीं जिला अस्पताल में अगर आग लग जाए तो उससे निपटने के लिए या आग को बुझाने के लिए हॉस्पीटल असमर्थ है. इसके अलावा जिला संयुक्त चिकित्सालय में ही बच्चों का SNCU  भी बना है. जहां मासूम बच्चों को रखा जाता है लेकिन इसके बावजूद अग्निशमन यंत्रों का इंतजाम न करना एक बड़ी लापरवाही के अलावा कुछ और नहीं कहा जा सकता है.


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मुख्य चिकित्साधीक्षक (CMS) डॉ एस के वासवानी से जब जी मीडिया ने बात की तो वो भी इस बात पर सहमत हुए कि जिला अस्पताल बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. आग लगने के समय यहां काफी बड़ी जनहानि हो सकती है, जिसको लेकर उनके द्वारा शासन को कई बार अग्निशमन उपलब्ध कराने और लगाने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं. प्रशासन ने फायर प्रिवेंशन के लिये इस्टीमेट भी मांगा लेकिन अब तक फायर प्रिवेंशन की कोई भी व्यवस्था नहीं की जा सकी है.