राम मंदिर आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं को मिलेगी ये खास सुविधा, ट्रस्ट ने लिया ये बड़ा फैसला
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि भाषा विशेषज्ञों की टीम बनाई जाएगी. जिन्हें देश-विदेश से राम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के प्रश्नों के समाधान के लिए न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान होगा.
नई दिल्ली: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भाषा विशेषज्ञों की एक टीम बनाने का फैसला किया है. इन विशेषज्ञों को देश-विदेश से राम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के प्रश्नों के समाधान के लिए न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान होगा. ट्रस्ट को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों और सीमा पार से तीर्थयात्रियों की एक बड़ी भीड़ की उम्मीद है.
भाषा विशेषज्ञों को नियुक्त करेगा ट्रस्ट
मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, देश भर से, खासकर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से बड़ी संख्या में पर्यटक अयोध्या आते हैं. ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा, ट्रस्ट यह पता लगाने के लिए अपना अध्ययन भी कर रहा है कि किस देश से कौन से विदेशी पर्यटक अयोध्या आ रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट विदेशी भाषा विशेषज्ञों को नियुक्त करेगा.
ट्रस्ट द्वारा मराठी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, उड़िया और मलयालम भाषाओं के विशेषज्ञों को शामिल किए जाने की संभावना है. ट्रस्ट द्वारा गठित टीम अयोध्या प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही टीम से अलग होगी. प्रशासन द्वारा तैयार की गई टीम टूरिस्ट गाइड का काम करेगी. ट्रस्ट ने पहले ही एक कोरियाई भाषा विशेषज्ञ को नियुक्त करने का निर्णय लिया है, क्योंकि यहां से बहुत सारे लोग अयोध्या आते हैं. यह बताया जा सकता है कि अयोध्या और कोरियाई प्रायद्वीप एक ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं.
रोजाना 15 से 20 हजार श्रद्धालु आ रहे हैं अयोध्या
किंवदंती के अनुसार, अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना ने समुद्री मार्ग से कोरिया की यात्रा की थी और राजा किम सुरो से शादी की थी, और 48 ईस्वी में वह रानी हियो ह्वांग-ओक बन गईं. कई कोरियाई राजकुमारी के वंश का पता लगाने यहां आते हैं.
ट्रस्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में रोजाना करीब 15 से 20 हजार श्रद्धालु अयोध्या आ रहे हैं. जनवरी 2024 में राम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने के बाद ट्रस्ट इस आंकड़े के एक लाख तक जाने की उम्मीद कर रहा है. ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने कहा, अयोध्या में उत्तर प्रदेश के बाहर से आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु दक्षिण भारतीय राज्यों से हैं. इसलिए, दक्षिण भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञों की ज्यादातर आवश्यकता होती है.
(इनपुट- आईएएनएस)
इसे भी पढ़ें- Karnataka: मंत्रिमंडल विस्तार में किसे मिलेगी जगह? कांग्रेस अलाकमान से चर्चा करेंगे सिद्धारमैया और शिवकुमार
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.