नई दिल्ली: Ratan Tata Dream Project NANO: देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्हें TATA ग्रुप को ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. रतन टाटा चैरिटी के लिए भी जाने जाते हैं. लेकिन जिस कारण रतन टाटा ने मिडिल क्लास लोगों में पहचान बनाई, वह है टाटा ग्रुप की गाड़ी NANO. टाटा नैनो आम आदमी के लिए बनाई हुई गाड़ी थी, जो दुनिया की सबसे सस्ती कार कही गई. रतन टाटा नैनो के जरिये मिडिल क्लास फैमिली का गाड़ी खरीदने का सपना पूरा करना चाहते थे, इसी कारण उन्होंने नैनो लॉन्च की थी. लेकिन ये आइडिया बुरी तरह फेल हुआ.


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नैनो का फेलियर बना नजीर
मास कम्युनिकेशन और एडवरटाइजमेंट की क्लासेज में आज भी नैनो का उदाहरण दिया जाता है. इसलिए नहीं कि टाटा ने एक सस्ती गाड़ी बनाई, बल्कि इस कारण क्योंकि ये प्रोजेक्ट फेल हुआ था. दरअसल, टाटा ग्रुप ने इस गाड़ी को सबसे सस्ती कार के तौर पर लॉन्च किया. भारत में लोगों के लिए स्टेट्स सिंबल बहुत जरूरी है, भले उनकी जेब में पैसा हो या ना हो. ऐसे में लोगों ने इस गाड़ी को नहीं खरीदा, क्योंकि पहले से ही ये हवा बन गई थी कि नैनो तो एक सस्ती कार है. लोग नहीं चाहते थे कि उनके पास एक ऐसी कार हो, जिसकी कम कीमत के बारे में सबको पता हो.


रतन टाटा को कैसे आया नैनो बनाने का आइडिया?
रतन टाटा ने साल 2022 में बताया था कि उन्हें नैनो लॉन्च करने का आइडिया कैसे आया. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा-मैं अक्सर लोगों को अपनी फैमिली के साथ स्कूटर पर जाते हुए देखता था. बच्चे अपने माता-पिता की गोद में बैठे दिखते थे. ऐसा लगता था जैसे वे सैंडविच हों. तब मुझे इंस्पिरेशन मिली कि मैं ऐसे लोगों के लिए कार बनाऊं. मैंने सोचा कि मुझे ऐसे लोगों के लिए कार बनानी चाहिए, कार खरीदना चाहते हैं लेकिन सक्षम नहीं हैं. आर्किटेक्चर स्कूल से पढ़े होने का फायदा था कि मैं डूडल बना लेता था. मैंने एक कार का डूडल बनाया, जो बग्गी की तरह दिख रहा था. इस तरह कुछ साल बाद टाटा नैनो लॉन्च हुई.


रतन टाटा की नैनो क्यों हुई फेल?
रतन टाटा ने साल 2008 में नैनो कार लॉन्च कर दी थी. तब इसकी कीमत मात्र 1 लाख रुपये थी. देश-दुनिया में इसकी खूब चर्चा हुई. वर्ल्ड मीडिया में भी इस कार ने सुर्खियां बनाई, क्योंकि ये दुनिया की सबसे सस्ती कार थी. टाटा ग्रुप ने 'सबसे सस्ती कार' को ही अपना यूएसपी बनाया. वे सोच रहे थे कि मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास इससे आकर्षित होगा और कार खरीदने का सपना पूरा कर लेगा. लेकिन लोगों ने इसे लखटकिया कार कहना शुरू कर दिया, इसका मतलब है लाख रुपये की कार. लोगों को लगा कि ये कर सोसाइटी में उनके स्टेट्स को नीचा करेगी, उनका मजाक बनेगा. लिहाजा, गलत एडवरटाइजिंग के चलते कार की बिक्री बहुत कम हुई.


फ्लॉप होने की एक वजह ये भी
इसके अलावा, एक कारण ये भी था की कार में आग लगने की भी कई घटनाएं सामने आईं. नैनो में कार का इंजन पिछले हिस्से में था. दावा किया गया कि इसमें ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल हुआ, जो मैटेरियल को ज्वलनशील बनाता है. इंजन में शोर्ट सर्किट होने और आग लगने की घटनाओं ने नैनो की साख को और गिरा दिया. फिर इसकी बिक्री न के बराबर रह गई. नतीजतन, 2019 में कंपनी ने नैनो का उत्पादन बंद कर दिया. उद्योगपति रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट फेल हो गया.


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