सौतेले भाई नोएल को उत्तराधिकारी बनाने को लेकर क्या थी रतन टाटा की सोच? किताब में हुआ खुलासा
लंबे समय तक टाटा संस की अगुवाई करने वाले दिवंगत कारोबारी रतन टाटा को लगता था कि उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को उनका उत्तराधिकारी बनने के लिए और अधिक अनुभव की आवश्यकता है. हाल ही में जारी एक किताब में यह बात कही गई.
नई दिल्लीः लंबे समय तक टाटा संस की अगुवाई करने वाले दिवंगत कारोबारी रतन टाटा को लगता था कि उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को उनका उत्तराधिकारी बनने के लिए और अधिक अनुभव की आवश्यकता है. हाल ही में जारी एक किताब में यह बात कही गई.
नोएल टाटा को हाल में रतन टाटा की मृत्यु के बाद टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया गया. यह ट्रस्ट अप्रत्यक्ष रूप से 165 अरब अमेरिकी डॉलर के टाटा समूह को नियंत्रित करता है.
रतन टाटा की जीवनी में खुलासा
मार्च, 2011 में जब रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश के लिए कई उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया तो उसमें नोएल टाटा भी शामिल थे. रतन टाटा ने उत्तराधिकारी को खोजने के लिए बनी चयन समिति से दूर रहने का फैसला किया था. रतन टाटा की जीवनी - ‘रतन टाटा ए लाइफ’ के अनुसार, बाद में उन्हें इस फैसले पर पछतावा हुआ.
क्यों चयन समिति से दूर रहे?
इस किताब को थॉमस मैथ्यू ने लिखा है और हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है. किताब में कहा गया कि रतन टाटा चयन समिति से इसलिए दूर रहे, क्योंकि टाटा समूह के भीतर से कई उम्मीदवार थे, और वह उन्हें यह भरोसा देना चाहते थे कि एक सामूहिक निकाय सर्वसम्मति से निर्णय के आधार पर उनमें से किसी एक की सिफारिश करेगा.
क्या व्यक्तिगत कारण था?
चयन समिति से दूर रहने का दूसरा कारण व्यक्तिगत था, क्योंकि यह व्यापक रूप से माना जाता था कि उनके सौतेले भाई नोएल टाटा उनके उत्तराधिकारी के लिए स्वाभाविक उम्मीदवार थे. कंपनी में पारसियों और समुदाय के परंपरावादियों की ओर से दबाव के बीच नोएल टाटा को 'अपना' माना जाता था.
किताब के अनुसार, हालांकि रतन टाटा के लिए केवल व्यक्ति की प्रतिभा और मूल्य ही मायने रखते थे. लेखक के मुताबिक, रतन टाटा नहीं चाहते थे कि नोएल को न चुने जाने की स्थिति में उन्हें उनके विरोधी के रूप में देखा जाए.
किताब के मुताबिक, रतन टाटा ने कहा, 'शीर्ष पद के लिए सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने के लिए नोएल के पास अब तक के अनुभव से अधिक अनुभव होना चाहिए था.' रतन टाटा ने कहा था कि यदि उनका कोई पुत्र भी होता, तो वह कुछ ऐसा करते कि वह अपने आप उनका उत्तराधिकारी न बन पाता.
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