नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारत का ही नहीं बल्कि सारी दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी संगठन है जिसके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है. यह संगठन सनातन धर्म की प्रेरणा को स्वीकार करते हुए सर्व धर्म सम भाव के मार्ग पर चलता है. संघ में मुस्लिम मंच भी है और सबसे अच्छी बात संघ की ये है कि संघ में जातिवाद भी नहीं है.



संघ प्रमुख की भारत पर राय 


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राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सर्वोच्च मार्गदर्शक मोहन भागवत उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में आयोजित संघ के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने देश के सबसे बड़े घोषित सत्य को शब्द देते हुए कहा कि संघ यह मानता है कि भारत हिन्दुओं का देश है. 
 
''सभी के पूर्वज हिन्दू हैं''


ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भारत देश में बाहर से कोई नहीं आया. देश में जितने भी लोग हैं सभी के पूर्वज हिन्दू ही हैं. उनकी मातृभूमि भारत ही है कोई और देश नहीं. सभी को विरासत में यही धर्म और यही भारतीय संस्कृति मिली है इसलिए सब लोग आपस में मिल-ज़ुल कर भारत में रहते हैं. 



गंभीर जीवन दर्शन का व्यावहारिक रूप प्रस्तुत किया


संघ प्रमुख ने कहा कि इसमें कोई समस्या नहीं कि समाज का हर तबका कार्य नहीं कर रहा है. इसके लिए कार्यों का बंटवारा किया जाना चाहिए. लेकिन सबको जागते भी रहना है. अगर सब सोते रहे तो वह भी समस्यादायी होगा. सबको काम करने की आदत होनी चाहिए. सबसे अहम बात जो उन्होंने कही वो ये थी कि देश का सबसे निकृष्ट व्यक्ति जितना अच्छा है वैसा ही हमारे देश का वैभव है.


हिन्दू समाज का अर्थ है सभी लोग 


हिन्दू समाज की सनातन संस्कृति पर गर्व की अनुभूति करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमें राष्ट्र हित चिंतन की आदत डालनी होगी. इसके लिए सबसे समीप का स्थान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा है. उन्होंने कहा कि जब हम हिन्दू समाज की बात कहते हैं तो हमारा तात्पर्य किसी एक पंथ या भाषा या किसी प्रांत या किसी जाति से नहीं होता. 


देशप्रेम के लिए इजराइल की दी मिसाल 


दुनिया के देशप्रेमी देशों में एक प्रमुख देश इजराइल की बात करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि इज़राइल के लोगों को आज़ादी देने से पहले बताया गया कि आप रेगिस्तान पर अपना देश नहीं बना सकोगे और यहां रहने के लिए आपको लड़ना भी बहुत पडेगा. इज़राइली लोगों से कहा गया था कि आपको दक्षिण अफ्रीका में चार सौ गुना अधिक जमीन दे देंगे आप वहीं अपना देश बसा लो - लेकिन इजराइल के लोगों ने अपनी मातृभूमि से कोई समझौता नहीं किया.  


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