मुबंई: अब पिछले दिनों कांग्रेस के एक विधायक संग्राम थोपाट को मंत्रिमंडल में जगह न दिए जाने के बाद उनके समर्थकों ने पार्टी कार्यालय में ही तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी. समर्थकों के इस अति-उत्साही रवैये के बाद कांग्रेस विधायक ने अपने चाहनेवालों की गलतियों पर शर्मिंदगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि पार्टी दफ्तर में जो भी हुआ वह गलत है और वे इसकी निंदा करते हैं.


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इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी आलाकमान ने जो भी निर्णय लिया है वह उससे सहमत हैं और आगे भी रहेंगे. कांग्रेस विधायक संग्राम थोपाट के समर्थकों ने उन्हें मंत्रीपद दिए जाने की मांग पर पार्टी के दफ्तर में हंगामा करना शुरू कर दिया था. 



अहम विभागों पर एनसीपी-शिवसेना का कब्जा


दरअसल, महाराष्ट्र में तीन पार्टियों की मिलीजुली सरकार में कांग्रेस का मानना है कि सबसे ज्यादा कम पर उन्हें ही संतोष करना पड़ रहा है. पहले तो कांग्रेस को कम मंत्रालय सौंपे गए, फिर बाद में अहम विभागों पर भी एनसीपी और शिवसेना का कब्जा हो गया है. कांग्रेस इससे पहले राज्य में उपमुख्यमंत्री की पदवी चाहती थी, लेकिन उसके खाते में विधानसभा के अध्यक्ष की सीट आई. इसके बाद चार अहम विभागों में से भी कांग्रेस को अपनी पसंद का विभाग नहीं मिल सका. 


पार्टी पर परिवारवाद के हिसाब से पदवी बांटने के लग रहे हैं आरोप


इसके अलावा मंत्रालयों के बंटवारें में कांग्रेस नेता एक लूपहोल यह भी मानते हैं कि पार्टी आलाकमान ने ज्यादातर पद परिवारवाद के हिसाब से सौंपी हैं. कांग्रेस के पुराने नेताओं के पुत्र और पुत्रियों को मंत्रालय संभालने का कार्यभार दे दिया गया है और पार्टी की लंबे समय से सेवा करते आ रहे नेताओं को नजरअंदाज किया गया है. हालांकि, एक तर्क यह भी है कि गठबंधन में कांग्रेस सबसे कम सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है. पार्टी को 44 सीटों पर ही जीत मिली है, इस वजह से लाजिम है कि उन्हें कम मंत्रालय सौंपे जाएंगे.