बिहार ही नहीं यूपी और एमपी में भी रहा शरद यादव का जलवा, जानिए 10 अनोखी बातें
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है. 75 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली.
नई दिल्ली: सियासत के एक और धुरंधर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. कई बार के सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव (Sharad Yadav) ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. शरद यादव के निधन की पुष्टि उनकी बेटी ने की है.
75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
समाजवाद की राजनीति ने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया था. किसान परिवार में जन्मे शरद यादव ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी. आपको उनके सियासी सफर से जुड़ी 10 खास बातें बताते हैं.
1). किसान परिवार में हुआ था जन्म
देश की सियासत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. 1 जुलाई 1947 को जन्मे शरद यादव ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था.
2). पढ़ाई में अव्वल थे शरद यादव
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से ही उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा. उन्होंने उनकी पढ़ाई में भी अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया. शरद यादव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया था. इसके अलावा उन्होंने रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री भी हासिल की थी. ऐसा कहा जाता है कि वो बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे.
3). छात्र जीवन में राजनीति से जुड़े
साल 1971 में शरद यादव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान राजनीति से जुड़ गए थे. वो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, एचडी देवगौड़ा और गुरुदास दासगुप्ता के साथ की थी.
4). लोहिया के विचारों से प्रभावित थे शरद यादव
डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर शरद यादव ने शुरुआती दिनों में ही कई सारे आंदोलनों में हिस्सा लिया था. इस दौरान वो कई दफा जेल भी गए थे. समाजवादी विचारधारा से प्रेरित शरद यादव के पीछे बड़ा जनसमर्थन रहा है.
5). 1974 में पहली बार सासंद चुने गए
शरद यादव पहली बार वर्ष 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. आपको बता दें, ये जेपी आंदोलन का वक्त था. शरद यादव हलधर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे.
6). पहली बार कब मिला मंत्री पद?
शरद यादव 1974 के बाद 1977 में दोबारा सांसद चुने गए. इसके बाद 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य चुने गए. 1989 में भी वो यूपी के बदाऊं लोकसभा सीट से जीतकर तीसरी बाद संसद पहुंचे. इसी समय उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. उन्हें केंद्रीय कैबिनेट कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री बनाया गया.
7). यूपी के बाद बिहार पहुंचे शरद यादव
वर्ष 1991 से 2014 तक शरद यादव ने बिहार की सियासत में अपना जलवा बिखेरा. इस दौरान वो बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे. वर्ष 1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष भी चुना गया. वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने लालू यादव को पटखनी दी.
8). 1998 में जनता दल यूनाइटेड पार्टी बनाई
वर्ष 1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. हालांकि इसके बाद जॉर्ज फर्नांडीस की मदद से उन्होंने सियासत में एक और झंडा गाड़ दिया. जनता दल यूनाइटेड पार्टी बनाई. ये वही दौर था, जब नीतीश कुमार जनता दल छोड़कर शरद यादव से जुड़ गए.
9). वर्ष 2004 में दूसरी बार पहुंचे राज्यसभा
शरद पवार को 1999 में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया. इसके बाद वे 1 सितम्बर 2001 से 30 जून 2002 तक केंद्रीय श्रम मंत्री रहे. 1 जुलाई 2002 से 15 मई 2004 तक शरद यादव केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रहे.
10). 2012 में मिला उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार
साल 2012 में संसद में उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें 'उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012' मिला. हालांकि इसके बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बिहार की मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा. यहीं से शरद यादव की सियासत का सूर्यास्त होना शुरू हो गया. हालांकि उन्हें राज्यसभा भेजा गया.
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