नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के बीच पुणे जिले से शिवसेना के पूर्व विधायक विजय शिवतारे ने बुधवार को धमकी दी कि अगर पार्टी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राकांपा और कांग्रेस से नाता नहीं तोड़ेंगे तो उनके पास एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट का समर्थन करने के अलावा 'कोई विकल्प नहीं होगा.'


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शिकायतों पर मुख्यमंत्री ने नहीं दिया ध्यान


विजय शिवतारे ने दावा किया कि उन्होंने ठाकरे को पत्र लिखे जिसमें कथित तौर पर उनके निर्वाचन क्षेत्र से कई विकास परियोजना को या तो स्थानांतरित करने या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) द्वारा बाधित किए जाने की जानकारी दी गई, लेकिन उनकी शिकायतों पर मुख्यमंत्री ने ध्यान नहीं दिया.


गौरतलब है कि मौजूदा समय में महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार है जिसमें शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा कर रही है. शिवतारे ने पुरंदर निर्वाचन क्षेत्र का दो बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया था और देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री भी थे.


शिवतारे को कांग्रेस के संजय जगताप से मिली थी हार


उन्हें वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संजय जगताप से हार का सामना करना पड़ा था. शिवतारे ने कहा, 'हम एमवीए में पिछले ढाई साल से हैं. हमारी पार्टी का मुख्यमंत्री होने के बावजूद पुरंदर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को सुपे (करीब 40 किलोमीटर दूर बारामती) स्थानांतरित कर दिया गया. मुख्यमंत्री ठाकरे इस परियोजना के बारे में जानते थे. मेरी उनसे इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई थी. अगर राकांपा नेता टर्मिनल को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दे रहे थे तो कम से कम मुझसे परामर्श लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.'


उन्होंने आरोप लगाया कि गुंजवानी बांध का पानी बारामती (राकांपा प्रमुख शरद पवार के गृह क्षेत्र) और अकलुज स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन उस समय भी मुख्यमंत्री द्वारा उनसे इस पर चर्चा नहीं की गई.


बागी विधायकों की भावनाओं का किया समर्थन


शिवतारे ने कहा, 'बहुत ही कुटिलता से हमारे निर्वाचन क्षेत्र की परियोजनाओं को राकांपा द्वारा स्थानांतरित कर दिया गया या बाधित किया गया. इसकी सूचना मुख्यमंत्री को दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसलिए ऐसी स्थिति हमारे लिए राकांपा के साथ काम करने के लिए उचित नहीं है.' बागी विधायकों की भावनाओं का समर्थन करते हुए शिवतारे ने कहा कि वे अब भी शिवसेना के साथ हैं.


उन्होंने कहा, 'वे अब भी बालासाहेब ठाकरे के शिवसैनिक हैं, लेकिन वे एमवीए के साथ नहीं जाएंगे.' उन्होंने कहा, 'उद्धव जी को राकांपा और कांग्रेस के साथ संबंधों को तोड़ लेना चाहिए और उचित फैसला करना चाहिए. हम इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं और उसे उद्धवजी को भेजेंगे. लेकिन इसके बावजूद वह राकांपा और कांग्रेस के साथ संबंध जारी रखना चाहते हैं तब हम जनहित में मौजूदा व्यवस्था के साथ नहीं रहेंगे.'


शिवतारे ने कहा कि पुरंदर में बैठक की गई जिसमें जिले के वरिष्ठ शिवसेना नेता, पार्टी पदाधिकारी, पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य शामिल हुए और एकमत से फैसला लिया गया कि 'एमवीए से संबंध तोड़ने और उचित फैसला लेने के लिए प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजा जाएगा.'


55 शिवसेना उम्मीदवारों को मिली थी हार


उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में 55 शिवसेना उम्मीदवारों को राकांपा या कांग्रेस से हार मिली. शिवतारे ने कहा, ' शिवासेना की इन सीटों पर जहां वह दूसरे स्थान पर रही थी, अगर एमवीए सरकार बनी रहती है तो ये कांग्रेस और राकांपा को जा सकती हैं क्योंकि इन पर उनके मौजूदा विधायक हैं. उस स्थिति में शिवसेना का इन निर्वाचन क्षेत्रों में क्या भविष्य होगा?'


उन्होंने कहा, 'अगर मुख्यमंत्री इसके बावजूद एमवीए के साथ जाना चाहते हैं और हमारी सुनने को तैयार नहीं होते, तो हमारे पास पार्टी को बचाने के लिए शिंदे गुट का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.'


एक अन्य शिवसेना नेता शिवाजीराव अधलराव पाटिल ने कहा कि पार्टी के मौजूदा पतन के लिए राकांपा जिम्मेदार हैं. पाटिल शिरुर सीट से पूर्व लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने कहा, 'पुणे जिले में राकांपा द्वारा शिवसेना का उत्पीड़न किया गया. उसके (राकांपा) कार्यकर्ता शिवसेना को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं. यह उनकी नीति है जिससे शिवसेना जिले में खड़ी नहीं होगी और खत्म हो जाएगी.'


पाटिल ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह अब भी शिवसेना में हैं. वह तीन बार शिरुर से सांसद रह चुके हैं और वर्ष 2019 के चुनाव में उन्हें राकांपा के डॉ.अमोल कोल्हे ने हरा दिया था.


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