2.5 साल के लिए सीएम की कुर्सी चाहती थी शिवसेना, हार में भी छिपी है उद्धव ठाकरे की जीत?
बीते कुछ घंटे में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी कुछ बदलाव हुए. महाराष्ट्र में कैसे सियासी घटनाक्रम में तेजी आई और उद्धव ठाकरे ने सरेंडर कर दिया. लेकिन क्या आपने सोचा है कि भले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन उन्होंने अपनी उस जिद को पूरा कर लिया, जिसके चलते शिवसेना और भाजपा के रिश्तों में दरार आई थी.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र का सियासी महासंकट आखिरकार अपने क्लाइमेक्स पर पहुंच ही गया. इसका अंत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के साथ हुआ. अब नया मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी और बागी विधायकों के एक्शन की बारी है. इन सभी सियासी उठापटक के बीच क्या किसी ने ये सोचा कि उद्धव ठाकरे ने भले ही इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन वो जितने वक्त के लिए कुर्सी की मांग कर रहे थे, उन्हें उतने समय के लिए ही कुर्सी का सुख भोगने को मिला.
उद्धव की जितनी चाहत थी, उतनी तो पूरी हो गई!
अगर ऐसा कहा जाए कि उद्धव ठाकरे की जितनी चाहत थी, उतनी तो उन्होंने पूरी कर ली. 31 महीने और 1 दिन.. और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की सत्ता से आउट हो गए. महाअघाड़ी सरकार की गाड़ी पटरी से उतर गई. वैसे उद्धव ठाकरे भी तो यही चाहते थे.
याद करिए, जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना और भाजपा के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हुई थी. विवाद यही था कि भाजपा और शिवसेना के बीच ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला सेट किया जाए. हालांकि बड़े भाई होने के नाते भाजपा ने शिवसेना की इस शर्त को मानने से साफ इनकार कर दिया था.
अब उद्धव ने अपनी उस ढाई साल वाली चाहत को पूरा कर लिया. इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे ने ढ़ाई साल से 1 महीने ज्यादा तक कुर्सी का स्वाद चखा. मतलब ये कि भले ही उद्धव आज सत्ता से बेदखल हो गए हो, लेकिन उन्होंने बीजेपी से जिस शर्त के चलते नाता तोड़ा था, वो सुख का वक्त उन्होंने भोग लिया.
महाराष्ट्र के सियासी संकट पर लगा ब्रेक
8 दिन बाद महाराष्ट्र के सियासी संकट पर जो ब्रेक लगा, उसका THE END उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के साथ हुआ. शिवसेना कार्यकर्ता मायूस दिखे तो वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाने की शुरुआत कर दी.
उद्धव ठाकरे और महाअघाड़ी में उनके सहयोगी NCP और कांग्रेस ने संकट को टालने और सरकार बचाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट कराने के फरमान ने उद्धव एंड कंपनी की हर कोशिश पर पानी फेर दिया और फिर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की आजमाइश में उतरने से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. वो कहते दिखे कि उनके पास शिवसेना है.
उद्धव ठाकरे के लिए कैसी रही रात?
इस्तीफे के ऐलान के बाद उद्धव रात करीब 11 बजकर 15 मिनट पर राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के लिए राजभवन के लिए निकले. उद्धव ठाकरे खुद कार चला रहे थे और उनके दोनों बेटे आदित्य और तेजस ठाकरे साथ मौजूद थे. उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को इस्तीफा सौंपा. राजभवन से निकलने के बाद उद्धव ठाकरे ने गाड़ी खंडेराय मंदिर पर आकर रोकी और दर्शन किए.
दर्शन के बाद जब उद्धव वापस मातोश्री पहुंचे तो बड़ी तादाद में कार्यकर्ता उनका इंतजार कर रहे थे. कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी कर इस बात का अहसास दिलाने की कोशिश की कि भले ही कुछ विधायक बागी हो गए हों, लेकिन वो उद्धव के साथ खड़े हैं.
महाराष्ट्र का नया कमांडर बनाने की कवायद
उद्धव ठाकरे के सत्ता से सरेंडर के बाद अब महाराष्ट्र का नया कमांडर बनाने की कवायद शुरू हो गई है. एकनाथ शिंद की अगुवाई में बागी विधायक गुवाहाटी से गोवा पहुंच चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.
सूत्रों का कहना है कि शिंदे गुट के विधायक भी उनके साथ राज्यपाल से मिलने जा सकते हैं. फडणवीस मुंबई के एक होटल में ठहरे बीजेपी विधायकों से मिलने भी पहुंचे. हालांकि रणनीति को लेकर अभी वो पत्ते नहीं खोलना चाहते.
मुंबई में विधानसभा के आस-पास सुरक्षा को बढ़ाया गया है. सियासत की बदलती तस्वीर के साथ बदलाव भी दिखने लगा है. मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय पांडे की जगह विवेक फणसलकर को नया कमिश्नर बना दिया. पांडे के रिटायरमेंट के बाद नई नियुक्ति की गई है.
इन सभी सियासी दांवपेच के इतर यदि उद्धव ठाकरे की बात की जाए तो ये हर कोई जानता और समझता है कि शिवसेना और बीजेपी की लड़ाई 2.5 साल के लिए सीएम की कुर्सी को लेकर थी. ऐसे में अगर ऐसा कहा जाए कि इस हार में भी उद्धव ठाकरे की जीत छिपी है, तो गलत नहीं होगा.
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