गुवाहाटी: नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को लेकर असम में प्रदर्शन तेज होता जा रहा है. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में तैनात किए गए पैरा मिलिट्री जवानों को वापस बुलाकर उन्हें असम भेजना शुरू कर दिया है. जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ की 10 कंपनियों को असम भेजा जा रहा है.


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असम में  ज्यादा उग्र हो रहा प्रदर्शन


नागरिकता संशोधन अधिनियम का असम में विरोध बढ़ रहा है. सरकार को आशंका है कि ये और अधिक उग्र हो सकता है. प्राप्त जानकारी के अनुसार डिब्रूगढ़ में स्थिति बिगड़ने की आशंका के चलते सेना बुला ली गई है. बता दें कि असम के लोग शुरुआत से ही इस बिल का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं.  वो इस बिल को अपनी संस्कृति पर हमला बता रहे हैं.


त्रिपुरा में भी भेजे गये जवान 



पुरा के कंचनपुर और मनु में सुरक्षाबलों को भेजा गया है. प्रदेश में 28 साल बाद वामपंथी सरकार हटी है और पहली बार वहां भाजपा की सरकार बनी है. इसी उद्देश्य से वामपंथ विचारधारा के लोग सरकार का अस्थिर करने के लिये विरोध प्रदर्शन उग्र कर रहे हैं. त्रिपुरा की सरकार ने अफवाहें रोकने के लिये सूबे में मोबाइल इंटरनेट, एसएमएस सेवाओं पर 48 घंटे के लिए बंद कर दिया है. देर शाम राज्य के आदिवासी इलाकों में कुछ अफवाह फैलाई जा रही थी, जिसकी वजह से अब पुलिस अलर्ट मोड पर है.


पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध का कारण


दरअसल पूर्वोत्तर राज्यों के स्वदेशी लोगों का एक बड़ा वर्ग इस बात से डरा हुआ है कि नागरिकता बिल के पारित हो जाने से जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी,उनसे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी. वो कहते हैं, "यह बात अब स्थापित हो गई है कि कांग्रेस ने बांग्लादेशी नागरिकों को सुरक्षा देने के लिए हम पर आईएमडीटी क़ानून थोपा था और अब बीजेपी अवैध बांग्लादेशी लोगों को सुरक्षा देने के लिए हम लोगों पर नागरिकता संशोधन बिल थोप रही है.


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आपको बता दें कि असम के साथ-साथ मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में भी इस बिल के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. मेघालय में लोगों के प्रदर्शन के कारण काफी परेशानी हो रही है, तो वहीं नागालैंड में गवर्नर हाउस के बाहर लोगों ने नारेबाजी की. मंगलवार को कई छात्र संगठनों ने नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में बंद बुलाया था, जिसकी वजह से आम जीवन प्रभावित हुआ था.