नई दिल्ली: दक्षिण भारत में 'कमल' खिलाने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीति के केंद्र में 'ट्रिपल सी' का फॉर्मूला है. इसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (कल्चरल नेशनलिज्म) के प्रतीकों को नए सिरे से उभारना, विभिन्न लोकप्रिय हस्तियों (सेलेब्रिटी) को पार्टी से जोड़कर मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता (क्रेडेबिलिटी) स्थापित करना शामिल है.


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साउथ में खुद को मजबूत कर रही है भाजपा


साथ ही साथ भाजपा की कोशिश जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और कभी दक्षिण में प्रमुख ताकत रही कांग्रेस के कमजोर होने से क्षेत्रीय दलों की ओर खिसक चुके उसके जनाधार को अपनी तरफ मोड़ना है.


भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के कुछ ही दिनों बाद केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु की चार प्रमुख हस्तियों पी.टी. उषा, इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और वी. विजयेंद्र प्रसाद को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है.


आगामी लोकसभा चुनाव में 130 सीटें कितनी अहम?


उन्होंने कहा कि संकेत स्पष्ट है कि पार्टी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में uइन राज्यों की 130 सीटें कितनी अहमियत रखती हैं. उन्होंने कहा, 'दक्षिण भारत में भाजपा की ‘ट्रिपल सी’ की सियासी बानगी पिछले दिनों सभी ने हैदराबाद में देखी. वहां विभिन्न माध्यमों से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नए सिरे से उभारने की कोशिश हुई, भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दों पर क्षेत्रीय दलों को घेरकर अपनी विश्वसनीयता स्थापित करने का अभियान छेड़ा गया और इसकी ताजा कड़ी है दक्षिण की विभिन्न हस्तियों को सम्मानित करना.'


उन्होंने कहा, 'बाकी मोदी जी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाएं तो हैं ही.' भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और आंध्र प्रदेश के सह प्रभारी सुनील देवधर ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि भाजपा के बारे में एक धारणा बना दी गई है कि वह उत्तर भारतीयों की पार्टी है.


उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है, यह इस निर्णय ने दिखा दिया है.' आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी को मिलाकर दक्षिण भारत में लोकसभा की कुल 130 सीटें आती हैं. यह लोकसभा की कुल 543 सीटों का करीब 24 प्रतिशत हिस्सा है.


दक्षिण में पांव पंसारने को तैयार है भाजपा?


पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा इन 130 सीटों में से सिर्फ 29 सीटें ही जीत सकी थी जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने यहां की 21 सीटों पर कब्जा जमाया था. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर तक अपना परचम फहरा चुकी भाजपा के दक्षिण में पांव पंसारने का सपना अभी भी अधूरा ही है.


दक्षिण के पांच राज्यों में एकमात्र कर्नाटक ही है जहां भाजपा आज भी शासन में है और पहले भी वहां शासन कर चुकी है. कर्नाटक को दक्षिण का द्वार मानने वाली भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 28 में से 25 सीटों पर कब्जा जमाया था. कर्नाटक के अलावा केंद्रशासित पुदुचेरी में मुख्यमंत्री एन रंगासामी के नेतृत्व वाली एनआर कांग्रेस और भाजपा की गठबंधन सरकार है.


हालांकि यहां की एकमात्र लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर भारत के कई राज्यों में भाजपा पिछले दो लोकसभा चुनावों में अपने चरम पर रही है, ऐसे में यदि उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में नुकसान होता है तो उसकी रणनीति इसकी भरपाई बहुत हद तक दक्षिण के राज्यों से करने की है.


चारों सांसदों का दक्षिण से होना महज इत्तेफाक नहीं


राजनीतिक विश्लेषक और 'सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज' (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा कि जिन चार लोगों को मनोनीत किया गया है, उनकी योग्यता पर तो कोई प्रश्नचिह्न नहीं खड़ा कर सकता. उन्होंने कहा, 'लेकिन चारों का दक्षिण से होना महज इत्तेफाक नहीं है.


उत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ कमजोर है. भाजपा की ओर से यह संदेश देने की कोशिश है कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी है और यदि वह उत्तर भारत के राज्यों में जीत हासिल करती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी सारी की सारी राजनीति वहीं केंद्रित है.


वह दक्षिण का भी ध्यान रखती है ताकि आगे उसे वहां राजनीतिक लाभ हासिल हो सके.' त्रिपुरा में करीब 25 सालों बाद वामंपथी दलों को सत्ता से उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाले देवधर से जब यह पूछा गया कि चारों हस्तियों के मनोनयन में भाजपा का दक्षिण भारत के मतदाताओं के लिए क्या संदेश है तो उन्होंने कहा कि उनकी दृष्टि में इसमें कोई राजनीति नहीं है.


उन्होंने कहा, 'रही बात दक्षिण में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने की, तो वहां के दो राज्यों कर्नाटक और पुदुचेरी में हमारी सरकारें हैं. केरल की एक जनसांख्यिकी है, जिसके कारण प्रयास करते-करते भी हम सरकार नहीं बना पाए हैं लेकिन हमारे वोट प्रतिशत में वहां लगातार इजाफा हुआ है.'


'..इन राज्यों में कांग्रेस की हालत खस्ता है'


उन्होंने कहा कि तेलंगाना हो, आंध्र हो, तमिलनाडु हो या केरल हो, इन राज्यों में कांग्रेस की हालत खस्ता है और 'कांग्रेस के कैडर, लीडर और वोटर बहुत तेजी से भाजपा की ओर आ रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'तेलंगाना में यह पिछले दिनों ही देखने को मिला जिसके कारण वहां भाजपा प्रमुख विपक्ष के रूप में उभरी है.


हम वहां सरकार बनाएंगे अगली बार. तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक का कमजोर होना और टूटना... वहां अन्नामलाई (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष) के नेतृत्व में भाजपा आगे बढ़ रही है. अभी पंचायत चुनाव के परिणाम आए. उसमें भाजपा को अच्छे खासे वोट मिले और इससे माहौल बना है कि भाजपा वहां उभर रही है. आंध्र प्रदेश में भी हमारा वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है. दक्षिण में भाजपा तेजी से आगे बढ़ रही है और 2024 में आपको वहां की तस्वीर बदली हुई दिखाई दे सकती है.'


ज्ञात हो कि पिछले दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में भी पार्टी नेताओं ने दावा किया था कि उसका अगला उभार दक्षिण के राज्यों में होने वाला है. इस बैठक में भाजपा ने तेलंगाना की सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत पर एक प्रदर्शनी लगाई थी.


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