नई दिल्ली: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे की रिपोर्ट आज वाराणसी कोर्ट में पेश नहीं होगी. रिपोर्ट तैयार होना बाकी है और इसमें 2-3 दिन और लग सकते हैं. ZEE मीडिया से बातचीत में सहायक कोर्ट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने कहा कि अदालत से रिपोर्ट पेश करने के लिए 3 दिन का वक्त मांगा जाएगा.


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शिवलिंग की पूजा शुरू कराने की मांग


हिंदू पक्ष के वकील जल्द ही इस बात की मांग करेंगे कि शिवलिंग की पूजा शुरू कराई जाए. हिंदू पक्ष का मानना है कि अभी एक सुरंग है जिसमे मलबा भरा है, उसके सर्वे की मांग ASI से कराने को लेकर जल्द याचिका दाखिल करेंगे. वहीं अजय सिंह ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो पर कहा कि ये वीडियो उसी स्थान का है, लेकिन ये वीडियो कब का है, इसकी जानकारी हमें नहीं है.


हिंदू और मुस्लिम पक्ष का दावा


हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में बाबा मिले है. तालाब का पानी हटा तो विश्वेश्वर मिले, विश्वेश्वर को फव्वारा बताया गया था. 'हर-हर महादेव' से परिसर गूंज उठा वहीं पश्चिमी दीवार की जांच की मांग करेंगे.


इसके अलावा मुस्लिम पक्ष  का दावा है कि कोई बाबा नहीं मिले हैं. सर्वे में ऐसा कुछ नहीं है, सारी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे. सबके सहयोग से सर्वे हुआ. शांतिपूर्ण सर्वे का काम पूरा हुआ.


क्या है पूरा मजरा? समझिए


18 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने याचिका दाखिल की. राखी, लक्ष्मी, सीता, मंजू और रेखा ने पूजा की इजाजत मांगी. याचिका में कहा गया कि ज्ञानवापी में देवताओं का स्थान है. मां श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की इजाजत मांगी गई. याचिका में देवताओं की सुरक्षा का भी हवाला दिया गया.


मां शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है. 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था. 1992 के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से बंद हो गया. नवरात्र में एक दिन पूजा करने की इजाजत मिलती है.  26 अप्रैल 2022 को कोर्ट ने सर्वे कराने का आदेश दिया.


7 मई को विवाद बढ़ गया, मामला फिर कोर्ट चला गया. 12 मई को कोर्ट ने पूरे परिसर के सर्वे का आदेश दे दिया. 3 दिनों तक सर्वे हुआ, शिवलिंग मिलने का दावा किया गया. अब आज सर्वे टीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपेगी.


क्या कहता है कानून?


पूजा स्थल अधिनियम, 1991 अनुसार किसी भी धर्म के पूजा स्थल में बदलाव नहीं होगा. 15 अगस्त 1947 से पहले मौजूद स्थल में बदलाव नहीं हो सकता. बदलाव करने की कोशिश पर हो जेल सकती है.


Places of Worship Act के अनुसार अगर मंदिर की जगह मस्जिद बनना साबित हुआ. 1991 का कानून बड़ी बाधा नहीं बनेगा. 1947 से पहले शिवलिंग होने से मंदिर का दावा मजबूत होगा. नमाज़ पढ़ने की सार्वजनिक जगह, धार्मिक स्थल नहीं है. 1947 से पहले नमाज का दावा अदालत में नहीं टिकेगा या नहीं ये बड़ा सवाल होगा.


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