नई दिल्लीः जैसे समय की लाठी होती है, दीवारों के कान होते हैं ठीक इसी तरह घटनाओं की जुबान होती हैं. आठ नवंबर की शाम सुप्रीम कोर्ट की ओर से खबर आई कि वह नौ नवंबर की सुबह अयोध्या मामले में फैसला सुनाएगा. इसके बाद से हर तरफ फैसला किस ओर जाएगा इसकी अटकलों का दौर शुरू हो गया. 6 अगस्त से 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुनवाई खत्म की और यह तय हुआ कि फैसला सुरक्षित रख किसी दिन सुनाया जाएगा. जस्टिस रंजन गोगोई की रिटायरमेंट 17 नवंबर को है, ऐसे में इससे पहले ही फैसला आना तय था. तमाम अटकलों के बीच कुछ घटनाएं ऐसी हैं जो दबी जुबान में फैसला मंदिर के पक्ष में जाने की ओर इशारा कर रही हैं.


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चार घंटे बाद देश सुनेगा एतिहासिक फैसला, हाई अलर्ट पर उत्तर प्रदेश


30 नवंबर तक छुट्टियां रद्द करने का आदेश
यूपी सरकार ने फील्ड में तैनात अपने सभी अधिकारियों की छुट्टियां 30 नवंबर तक रद्द कर दी थी. 16 अक्टूबर को योगी शासन में विशेष सचिव धनन्जय शुक्ला व अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल की ओर से एक शासनादेश जारी किया गया था. एएनआई ने इसके हवाले से लिखा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को फील्ड में बने रहने के आदेश दिए हैं, साथ ही आदेश दिया है कि 30 नवंबर तक कोई भी अवकाश स्वीकार न किया जाए. शासनादेश में इसके पीछे की वजह त्योहारों के आयोजन के दौरान सुरक्षा को लेकर मुस्तैदी बताई गई थी. लेकिन ध्यान से देखें तो बड़े त्योहारों में दिवाली थी, जो अक्टूबर में ही मना ली गई, छठ भी नवंबर की शुरुआती तारीखों में रही. योगी सरकार का महत्वाकांक्षी आयोजन अयोध्या में दीपोत्सव भी दिवाली के साथ आयोजित हुआ. ऐसे में छुट्टियों को 30 नवंबर तक रद्द करने का आदेश इस बात की चुगली कर रहा था कि फैसला नवंबर में ही किसी तारीख को आ रहा है और हो न हो मंदिर के पक्ष में आ रहा है.